nayaindia Narendra Modi सीजेआई को वकीलों की चिट्ठी पर पीएम मोदी ने कहा..

सीजेआई को वकीलों की चिट्ठी पर पीएम मोदी ने कहा, डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति

PM Modi attack opposition leaders
PM Modi attack opposition leaders

नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला, स्वरूपमा चतुर्वेदी सहित 600 से अधिक वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका की सत्यनिष्ठा को कमजोर करने के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की।

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन वरिष्ठ वकीलों की इस चिंता पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसे लेकर लिखा दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। पांच दशक पहले ही उन्होंने ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ का आह्वान किया था – वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं, लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीयों ने उन्हें अस्वीकार किया है।

दरअसल, इन वरिष्ठ वकीलों ने सीजेआई को पत्र में लिखा है कि एक खास समूह है जो अदालती फैसलों को प्रभावित करने के लिए दबाव डालता है, विशेष रूप से ऐसे मामलों को यह प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं जिनसे या तो नेता जुड़े हुए हैं या फिर सीधे उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। ऐसे में इस समूह के लोगों की गतिविधियां देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने और न्यायिक प्रक्रिया के लिए खतरा है।

सभी वकीलों ने इस चिट्ठी में चिंता जताई है कि ऐसे में न्याय को कायम रखने के लिए काम करने वाले के रूप में  हम सोचते हैं कि यह हमारी अदालतों के समर्थन में खड़े होने का समय है”। अब इसके खिलाफ एक साथ आने और गुप्त हमलों के खिलाफ बोलने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी अदालतें हमारे लोकतंत्र के स्तंभ के रूप में सुरक्षित रहें।

चिट्ठी में वकीलों का कहना है कि इस खास समूह के लोगों द्वारा कई तरीकों से न्यायपालिका के कामकाज को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। न्यायपालिका के बारे में गलत नैरेटिव पेश करने के साथ ही अदालतों की कार्यवाहियों पर सवाल उठाना इनका काम है जिसके जरिये अदालतों में जनता के विश्वास को कम किया जा सके। चिट्ठी में यह भी लिखा गया है कि यह समूह अपने राजनीतिक एजेंडे के आधार पर ही अदालत के फैसलों की सराहना या आलोचना करता है।

इसके साथ ही इसी ग्रुप ने “बेंच फिक्सिंग” का सिद्धांत भी गढ़ा है। वकीलों ने आरोप लगाया है कि जब किसी नेता के भ्रष्टाचार का मामला सामने आता है तो यह समूह उनके बचाव में आ जाता है और फिर जब अदालत से उनके मनमाफिक फैसला नहीं आता तो वे अदालत के भीतर या फिर मीडिया के जरिए अदालत की आलोचना करने लगते हैं। वहीं, कई ऐसे भी तत्व इस समूह में हैं जो जजों पर कुछ चुनिंदा मामलों में अपने पक्ष में फैसला देने के लिए दबाव डालने की कोशिश करते हैं।

यह सब कुछ सोशल मीडिया पर झूठ फैलाकर किया जा रहा है। वकीलों के समूह ने चिट्ठी में लिखा है कि चुनावी मौसम में यह खास समूह कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो जाता है। ऐसा ही 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिला था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से इन वकीलों ने गुहार लगाई है कि इस तरह के हमलों से अदालतों को बचाने के लिए सख्त और ठोस कदम उठाएं।

यह भी पढ़ें:

एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें