नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों की घोषणा से ऐन पहले केंद्र सरकार ने दो नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर दी है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के दो पूर्व अधिकारियों- ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू चुनाव को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। केंद्र सरकार ने गुरुवार शाम को इन दोनों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी। इससे पहले गुरुवार की सुबह इनकी नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की कमेटी की बैठक हुई थी। sukhbir sandhu gyanesh kumar
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बैठक के तुरंत बाद लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया को बता दिया था कि ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू के नाम पर मुहर लगी है। बाद में इनके नामों पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई, जिसके बाद अधिसूचना जारी कर दी गई। चुनाव आयुक्त बने सुखबीर संधू उत्तराखंड के मुख्य सचिव और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी एनएचएआई के अध्यक्ष रह चुके हैं। ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के अधिकारी हैं। वे गृह मंत्रालय में रह चुके हैं। वे सहकारिता मंत्रालय में सचिव पद से रिटायर हुए हैं। sukhbir sandhu gyanesh kumar
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बहरहाल, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की बैठक के बाद अधीर रंजन चौधरी ने नियुक्ति प्रक्रिया पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा- मीटिंग शुरू होने के 10 मिनट पहले छह नाम मेरे पास आए। मुझे सुखबीर सिंह संधू, ज्ञानेश कुमार, उत्पल कुमार सिंह, प्रदीप कुमार त्रिपाठी, इंदीवर पांडे और सुधीर कुमार रहाटे के नाम सौंपे गए थे। मैंने कहा कि इनकी ईमानदारी और तजुर्बा जांचना मेरे लिए असंभव है। मैं इस प्रक्रिया का विरोध करता हूं। ये होना ही था। ये औपचारिकता है। उन्होंने कहा- इस कमेटी में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को रखना चाहिए। अगर चीफ जस्टिस होते तो बात अलग थी। कल रात मैं दिल्ली आया, तब मुझे 212 लोगों की सूची सौंपी गई थी। इतने कम समय में सभी का प्रोफाइल जांचना असंभव था।
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गौरतलब है कि नियम के मुताबिक चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा दो चुनाव आयुक्त होते हैं। एक चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे फरवरी में रिटायर हो गए थे। दूसरे आयुक्त अरुण गोयल ने आठ मार्च की सुबह अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तत्काल स्वीकार भी कर लिया। इसके बाद तीन सदस्यों के चुनाव आयोग में अकेले मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे थे।