nayaindia Maharashtra shivsena case स्पीकर पर नाराज सुप्रीम कोर्ट

स्पीकर पर नाराज सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसले में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के स्पीकर पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर इस मामले को अनिश्चितकाल तक नहीं टाल सकते हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने यहां तक कहा कि स्पीकर अदालत के प्रति जवाबदेह हैं और उन्हें अदालत की गरिमा का सम्मान करना होगा। इस मामले में अब दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को इस मामले में फैसला सुनाया था और विधायकों की अयोग्यता का फैसला स्पीकर पर छोड़ा था लेकिन उसके बाद चार महीने में सिर्फ एक बार इस पर सुनवाई हुई है।

विधायकों की अयोग्यता का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है, जहां सोमवार को इस पर सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने स्पीकर से कहा कि आप इस मामले पर फैसला लंबे समय तक टाल नहीं सकते। आपको इसकी समय सीमा तय करनी होगी। इसके अलावा अदालत ने शिव सेना के नाम और चुनाव चिन्ह से जुड़े मामले की सुनवाई तीन हफ्ते के लिए स्थगित कर दी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दोनों मामले पर सुनवाई की।

बहरहाल, विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा-विधानसभा अध्यक्ष संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत कार्यवाही को अनिश्चितकाल तक विलंबित नहीं कर सकते। उन्हें कोर्ट के निर्देशों का सम्मान करना चाहिए। दसवीं अनुसूची में स्पीकर को एक मामले में सुनवाई के लिए तीन महीने की समय सीमा तय की गई है। स्पीकर की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि स्पीकर को  फैसला करना है। वो देर नहीं कर सकते। इस पर चीफ जस्टिस ने सवालिया लहजे में कहा कि 11 मई को स्पीकर को मामले में जल्दी फैसला देने का निर्देश दिया था। उसके बाद से मामले में क्या हुआ है, स्पीकर ने क्या किया है?

इस मामले में देरी पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- शिव सेना के 56 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर दोनों पक्षों की ओर से दाखिल तीन याचिकाएं लंबित हैं। इन्हें हफ्ते भर में स्पीकर के पास सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। कार्यवाही तमाशा बन गई है। उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल- 11 मई के फैसले के बाद स्पीकर को कई याचिकाएं दी गईं। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए हमने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की। सिब्बल ने बताया कि जब कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 18 सितंबर की तारीख तय कर दी, तब जाकर स्पीकर ने मामले पर 14 सितंबर को पहली सुनवाई की। सुनवाई के दौरान स्पीकर ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जरूरी दस्तावेज दाखिल नहीं किए हैं। फिर उन्हें बिना कोई तारीख दिए सुनवाई स्थगित कर दी।

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