एक के खिलाफ दूसरा
समस्या की जड़ वह आर्थिक दिशा है, जिसमें धन का कुछ परिवारों में संकेंद्रण होता गया है। उस पर ध्यान ना देकर वंचित तबके जातीय आधार पर एक दूसरे के खिलाफ लामबंदी कर रहे हैं। समाज के लिए यह चिंताजनक घटनाक्रम है। महाराष्ट्र सरकार के सामने एक (मराठा) को मनाएं, तो दूजा (ओबीसी) रूठ जाता है- की ऐसी पहेली है, जिसे सुलझाने में वह अक्षम साबित हो रही है। ओबीसी संगठनों को वह नहीं समझा पाई कि मराठा समुदाय के आरक्षण के लिए जो शासकीय प्रस्ताव (जीआर) उसने दो सितंबर को जारी किया, उससे ओबीसी जातियों की आरक्षण सुविधा पर...