महाराष्ट्र की सरकार ने अर्बन नक्सलिज्म यानी शहरी नक्सलवाद के खिलाफ विधेयक पेश किया है। मजेदार बात यह है कि भारत सरकार को पता नहीं है कि अर्बन नक्सल कौन हैं। (urban naxalism bill)
दो साल पहले 2023 में तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने इस बारे में सवाल पूछा था लेकिन उससे पहले 2020 में इंडिया टुडे टीवी ने सूचना के अधिकार कानून के तहत केंद्र सरकार से पूछा था कि अर्बन नक्सल कौन हैं और कहां से काम करते हैं। इसके जवाब में सरकार ने कहा कि उसके पास अर्बन नक्सल के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
इसी तरह केंद्र सरकार ने एक दूसरे सवाल के जवाब में कहा था कि टुकड़े टुकड़े गैंग के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। (urban naxalism bill)
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पुलिस राज लागू करने वाला कानून (urban naxalism bill)
इसके बावजूद खुद प्रधानमंत्री अक्सर अर्बन नक्सल की बात करते रहते हैं। अब महाराष्ट्र सरकार एक कदम और आगे बढ़ गई। देवेंद्र फड़नवीस की सरकार ने अर्बन नक्सलिज्म के खिलाफ विधेयक पेश किया है। (urban naxalism bill)
महाराष्ट्र स्पेशल पब्लिक सिक्योरिटी बिल, 2024 में अर्बन नक्सलिज्म से निपटने के उपाय किए गए हैं। राज्य की विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इसकी तुलना अंग्रेजों के रॉलेट एक्ट से की है।
इसमें पुलिस को असीमित अधिकार दिए जा रहे हैं। यह पुलिस राज लागू करने वाला कानून है। लेकिन सवाल है कि जिस चीज का अस्तित्व नहीं है। (urban naxalism bill)
भाषणों में जरूर इसका जिक्र होता है लेकिन खुद केंद्र सरकार कह रही है कि ऐसी किसी चीज के बारे में उसको जानकारी नहीं है तो उस खतरे से निपटने के लिए कानून बनाने का क्या तर्क है!