महाराष्ट्र में शरद पवार और अजित पवार दोनों की पार्टियों के विलय की चर्चा जोर शोर से चल रही है। इसके अलावा यह भी चर्चा चल रही है कि विलय की बजाय शरद पवार पार्टी का स्वतंत्र अस्तित्व रखते हुए एनडीए में शामिल हो सकते हैं। भाजपा को दूसरी स्थिति ज्यादा बेहतर नजर आ रही है। विलय करके एनसीपी एक हो जाए और एनडीए में रहे तो यह एक मजबूत ताकत रहेगी और अलग होने पर ज्यादा नुकसान कर सकती है। लेकिन दो अपेक्षाकृत कमजोर पार्टियां एनडीए में रहेंगी तो वह ज्यादा बेहतर होगा। शरद पवार की पार्टी एनडीए में चली जाए तो आठ लोकसभा सांसद मिल जाएंगे। पवार की बेटी और एक दूसरे सांसद को मंत्री बनाया जा सकता है।
लेकिन भाजपा की ओर से इस मामले में सावधानी से पहल की जा रही है क्योंकि पार्टी के नेता सुप्रिया सुले के रवैए को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं हैं। भाजपा के जानकार नेताओं का कहना है कि शरद पवार पहले भी भाजपा से बात कर रहे थे और एनडीए में आना चाहते थे। सारी बातें तय हो जाने के बाद सुप्रिया सुले ने उनको ‘इंडिया’ ब्लॉक में ही रहने के लिए मनाया। कहा जा रहा है कि उनका स्वाभाविक रूझान कांग्रेस और गैर भाजपा दलों की ओर है। अभी विदेश दौरे से लौट कर भी उन्होंने कांग्रेस प्रेम दिखाया है। सुप्रिया सुले ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश गए एक भारतीय डेलिगेशन का नेतृत्व कर रही थीं। लौटने के बाद उन्होंने कहा कि गांधी, नेहरू और इंदिरा को अब भी विदेश में लोग बहुत पसंद करते हैं और याद करते हैं। यह बात भाजपा को कैसे पसंद आ सकती है? एक तरफ सुप्रिया सुले देश की बात कर रही थीं और पहलगाम कांड व ऑपरेशन सिंदूर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की कांग्रेस की मांग को खारिज कर दिया था लेकिन दूसरी ओर वे विदेश में कांग्रेस नेताओं की लोकप्रियता का राग भी गा रही हैं। तभी भाजपा में कंफ्यूजन है कि वे क्या चाहती हैं?