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13-06-2025 Vol 19

आपसी झगड़े में रूक गई जाति गणना की रिपोर्ट

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यह बड़ा सवाल है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में जाति गणना की रिपोर्ट जारी करने के बाद उसका एडवांटेज लेने की बजाय उस पर रोक क्यों लगवा दी? क्या इसके पीछे भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का टकराव है या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की नाराजगी है? गौरतलब है कि 10 अप्रैल को जाति गणना की रिपोर्ट सरकार को सौंपे जाने के दिन से सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच तलवार खींची है। इस गणना में वोक्कालिगा आबादी 11 फीसदी बताई गई है। इससे वोक्कालिगा समुदाय नाराज हुआ। उनको मनाने के लिए अलग अलग वोक्कालिगा समुदायों के साथ शिवकुमार ने बैठक की। गौरतलब है कि डीके शिवकुमार वोक्कालिगा है और उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना देख कर इस समुदाय का एक बड़ा हिस्सा एचडी देवगौड़ा के परिवार और पार्टी जेडीएस को छोड़ कर कांग्रेस के साथ गया था। लेकिन एक तो शिवकुमार मुख्यमंत्री नहीं बने और दूसरे वोक्कालिगा आबादी प्रचलित धारणा से बहुत कम बताई गई।

लिंगायत भी नाराज है क्योंकि उनकी आबादी सिर्फ 10 फीसदी बताई गई है, जो अपने को 30 फीसदी बताते हैं। सबसे ज्यादा आबादी ओबीसी की है और उसमें भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की जाति कुरुबा की आबादी भी काफी बढ़ी हुई बताई गई। कुछ दिन पहले खबर आई थी कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे नाराज थे क्योंकि राज्य सरकार अनुसूचित जातियों की गिनती अलग से करा रही थी, जिसमें उप जातियों को अलग अलग गिना जा रहा था। इतना ही नहीं कि यह भी खबर आई थी कि दलितों की उपजातियों में कुछ अति पिछड़ी जातियों को भी गिना जा रहा है। कुछ समय पहले कर्नाटक दौरे में खड़गे ने इस पर आपत्ति और नाराजगी जताई थी। तभी यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि चूंकि उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार संतुष्ट नहीं हैं और सबसे बड़ा जातीय समूह लिंगाय़त खुश नहीं है और कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे अलग नाराज हो गए हैं तो जाति गणना का मामला आगे नहीं बढ़ेगा। अंत में वही हुआ। इस पर रोक लगा दी गई है। लेकिन आगे क्या होगा यह देखना दिलचस्प होगा। रोक लगाने को डीके शिवकुमार की सफलता के तौर पर भी देखा जा रहा है।

NI Political Desk

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