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आपराधिक कानूनों को बदलने के तीन बिल पेश

नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों में एक तिहाई से ज्यादा विपक्षी सांसदों के निलंबन के बाद मंगलवार को केंद्र सरकार ने मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयकों को लोकसभा में पेश किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपराधिक कानून संशोधन से जुड़े तीन नए विधेयकों को लोकसभा में पेश किया। इस पर चर्चा के बाद अमित शाह तीनों बिलों पर बुधवार दोपहर ढाई बजे लोकसभा में जवाब देंगे। उसके बाद इसे पास कराया जाए।

केंद्र सरकार ने आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को सदन में रखा है। इन विधेयकों को अगस्त में हुए संसद के मॉनसून सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में रखा था। बाद में इन्हें गृह मामलों की संसदीय समिति के पास भेजा गया था। पिछले हफ्ते विधेयकों का नया संस्करण लाया गया।

तीन नए बिलों को पेश करने के दौरान अमित शाह ने कहा कि इन महत्वपूर्ण विधेयकों पर विचार करने का उद्देश्य आपराधिक कानूनों में सुधार करना है। गौरतलब है कि पुराने कानूनों में बहुत कुछ बदला जा रहा है और बहुत सारी चीजें हटाई जा रही हैं। आईपीसी में फिलहाल 511 धाराएं हैं लेकिन इसकी जगह लाए जा रहे नए कानून में 356 धाराएं ही रखी गई हैं, जबकि 175 धाराएं बदल जाएंगी। इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं रह जाएंगी। 160 धाराएं बदलेंगी, नौ नई जुड़ेंगी और नौ खत्म होंगी।

इसमें सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम तीन साल के भीतर देना होगा। गौरतलब है कि देश में करीब पांच करोड़ केस लंबित हैं, जिनमें से करीब साढ़े चार करोड़ केस ट्रायल कोर्ट में ही लंबित हैं। हालांकि सिर्फ कानून में बदलाव करने से लंबित मामले नहीं समाप्त होंगे। इसके लिए अदालतों के बुनियादी ढांचे में बदलाव करना होगा।

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By NI Political Desk

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