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फिलिस्तीन को मान्यता देने की योजना पर भड़के नेतन्याहू

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उस योजना पर कड़ी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की बात कही। नेतन्याहू ने इस कदम को हमास के “भयावह आतंकवाद” को इनाम देने के बराबर बताया। 

इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “स्टार्मर हमास के भयावह आतंकवाद को इनाम दे रहे हैं और इससे पीड़ितों को दंडित कर रहे हैं। आज इजरायल की सीमा पर एक जिहादी जमीन कल ब्रिटेन के लिए खतरा बनेगी। जिहादी आतंकवादियों को खुश करने की नीति हमेशा विफल होती है। यह आपको भी विफल करेगी।

इस बीच, इजरायली विदेश मंत्रालय ने भी इस फैसले को खारिज करते हुए कहा कि ब्रिटिश सरकार का ऐसा कदम गाजा में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई के प्रयासों को कमजोर करेगा।

इजरायली विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “इजरायल, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के बयान को खारिज करता है। फ्रांस के कदम और आंतरिक राजनीतिक दबावों के बाद इस समय ब्रिटिश सरकार के रुख में आया बदलाव हमास के लिए एक इनाम है। यह बदलाव गाजा में संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई के प्रयासों को नुकसान पहुंचाता है।

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यह तीखी प्रतिक्रिया तब आई जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि यदि इजरायल ने गाजा में स्थिति सुधारने, संघर्षविराम पर सहमति देने और दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, तो ब्रिटेन सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, “मैं पुष्टि करता हूं कि यदि इजरायल सरकार गाजा की भयावह स्थिति को समाप्त करने, संघर्षविराम पर सहमति देने और दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में ठोस प्रतिबद्धता नहीं दिखाती है तो ब्रिटेन सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देगा।

बयान में आगे कहा गया, “इसमें संयुक्त राष्ट्र को मानवीय सहायता की आपूर्ति फिर से शुरू करने की अनुमति देना और यह स्पष्ट करना शामिल है कि वेस्ट बैंक में कोई नया अधिग्रहण नहीं होगा। इस बीच, हमास के आतंकवादियों के लिए हमारा संदेश अपरिवर्तित और स्पष्ट है। उन्हें तुरंत सभी बंधकों को रिहा करना होगा, युद्धविराम पर हस्ताक्षर करना होगा, निरस्त्रीकरण करना होगा और यह भी स्वीकार करना होगा कि वे गाजा की सरकार में कोई भूमिका नहीं निभाएंगे। हम सितंबर में इस बात का आकलन करेंगे कि संबंधित पक्षों ने इन कदमों का कितना पालन किया है।

Pic Credit : ANI

By Naya India

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