जी-20, सनातन और हिंदी पर चुनाव

जी-20, सनातन और हिंदी पर चुनाव

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का एजेंडा और मुद्दे तय हो गए हैं। जी-20 का शिखर सम्मेलन बड़ा मुद्दा होगा। उसके बाद सनातन पर छिड़ी बहस का मुद्दा है और हिंदी का मुद्दा है। इसके अलावा बाकी मुद्दे भी होंगे लेकिन चुनाव से ठीक पहले ये तीन मुद्दे हाईलाइट हुए हैं। इन्हे भाजपा व्यापक रूप से उठाने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के बीना और छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में विधानसभा चुनाव का आगाज करते हुए ये मुद्दे उठा कर संकेत दे दिया है कि इसी पर राजनीति होनी है। हालांकि बड़ा सवाल है कि चुनाव वाले पांच  राज्यों में शासन, कामकाज, जातीय समीकरण और स्थानीय राजनीति के ऊपर ये मुद्दे कितना असर डाल पाएंगे? क्या भाजपा को इनका लाभ मिलेगा? क्या वह इन मुद्दों के आधार पर मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी माहौल को खत्म कर पाएगी? राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में सरकारों के खिलाफ क्या सत्ता विरोधी माहौल बना पाएगी?

ध्यान रहे कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिपरिषद की बैठक की थी, जिसमें उन्होंने पार्टी के नेताओं और मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे सनातन धर्म पर हो रहे हमले का जवाब दें। हालांकि इसके बाद किसी बड़े नेता की ओर से कोई ऐसा जवाब नहीं आया, जिससे लगे कि पार्टी उदयनिधि स्टालिन और ए राजा की ओर से सनातन पर किए गए हमले का जवाब दे रही है। तभी प्रधानमंत्री मोदी ने खुद कमान संभाली। उन्होंने मध्य प्रदेश के बीना रिफाइनरी में एक बड़े प्रोजेक्ट की आधारशिला रखने के बाद रैली में यह मुद्दा उठाया और कहा कि विपक्षी पार्टियों का ‘घमंडिया’ गठबंधन सनातन धर्म को अपमानित करने और इसे समाप्त करने के लिए बना है। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां सनातन धर्म को खत्म करके देश को फिर से हजार साल की गुलामी के दौर में धकेलने का काम कर रही हैं। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे विपक्ष के इस एजेंडे का जवाब दें। प्रधानमंत्री ने सनातन का विवाद शुरू होने से पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से अपने भाषण में हजार साल की गुलामी का मुद्दा उठाया था। अब वे कह रहे हैं कि सनातन कमजोर हुआ तो देश फिर से हजार साल की गुलामी में फंस जाएगा। हजार साल की गुलामी का मतलब मुस्लिम और अंग्रेज शासकों की गुलामी से है। हालांकि भाजपा के नैरेटिव में गुलामी मतलब हमेशा मुस्लिम शासकों की गुलामी से होता है। सो, सनातन को बचा कर देश को हजार साल की गुलामी में जाने से रोकने की बात का मतलब यह है कि विपक्ष मुस्लिम शासन चाहता है, जबकि भाजपा रही तो सनातन बचा रहेगा और देश मुसलमानों का गुलाम नहीं होगा।

इसके बाद प्रधानमंत्री ने बहुत जोरदार ढंग से जी-20 शिखर सम्मेलन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह भारत के बड़े सामर्थ्य का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने लोगों से सवाल पूछा कि जी-20 के आयोजन से गर्व की अनुभूति हुई या नहीं? सबने हाथ उठा कर जवाब दिया कि उन्हें इस पर गर्व हुआ। ध्यान रहे भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव से पहले हुए पुलवामा कांड और सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर राष्ट्रवाद का मुद्दा बहुत प्रभावी तरीके से इस्तेमाल कर चुकी है। इस बार राष्ट्रवाद का मुद्दा जी-20 के जरिए उठाया जा रहा है। बहुत व्यवस्थित तरीके से देश के लोगों को बताया जा रहा है कि भारत अब दुनिया का नेता बन गया है। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कहा कि भारत विश्वमित्र बन गया है, जबकि विपक्षी पार्टियां विभाजन का काम कर रही हैं। सो, सनातन के बाद जी-20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन पांच राज्यों के चुनाव में बड़ा मुद्दा

होगा।

तीसरा बड़ा मुद्दा भारत और इंडिया की बहस का है, जिसमें अपने आप हिंदी जुड़ गई है। विपक्षी गठबंधन के ‘इंडिया’ नाम रखने के बाद से ही भाजपा इसकी काट खोज रही थी। वह काट भारत में मिल गई है। व्हाट्सऐप फॉरवर्ड में बताया जा रहा है कि दुनिया के किसी देश का नाम दो भाषाओं में अलग अलग नहीं है तो फिर हमारे देश का नाम हिंदी और अंग्रेजी में अलग अलग क्यों होना चाहिए? इसके साथ ही यह बताया जा रहा है कि ‘इंडिया’ का मतलब अंग्रेजी बोलने वाले, शहरी और बाहरी ताकतों से संचालित होने वाले लोग हैं, जबकि भारत बोलने वाले बहुसंख्यक लोग भारतीय हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन में हर जगह भारत लिखा और बोला गया। अब खबर है कि सरकारी कामकाज में अंग्रेजी में भी भारत ही लिखा जा रहा है।

पिछले दिनों भारत सरकार ने आईपीसी, सीआरपीसी और इविडेंस एक्ट बदलने के लिए तीन विधेयक संसद में पेश किए। आईपीसी का नाम भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी का नाम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इविडेंस एक्ट का नाम भारतीय साक्ष्य अधिनियम रखने का प्रावधान किया गया है। दक्षिण भारत के राज्यों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने भारत और हिंदी दोनों को अपनाया है। केंद्रीय गृह मंत्री ने अब कहा है कि हिंदी के जरिए सभी क्षेत्रीय भाषाओं के साथ बेहतर तालमेल बनता है। ध्यान रहे राजभाषा विभाग भी उन्हीं के अधीन आता है। इस बीच 14 सितंबर को हिंदी दिवस के मौके पर कई देशों के राजदूतों और दूतावासों ने हिंदी में ट्विट किए। इजराइल के राजदूत ने तो वीडियो शेयर किया, जिसमें दूतावास के कर्मचारी हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय डायलॉग बोल रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के राजदूत ने हिंदी के मुहावरे शेयर किए। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इजराइल के ट्विट का जवाब अमिताभ बच्चन के एक मशहूर डायलॉग से जवाब दिया। भाजपा के राज में हिंदी की ताकत बढ़ने का नैरेटिव अंततः चुनाव में इस्तेमाल होगा। सो, इसे संयोग कहें या लंबी प्लानिंग कहें लेकिन यह हकीकत है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले जी-20 का शिखर सम्मेलन हुआ, जिसका डंका अभी तक बज रहा है। चुनावों से पहले तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म पर हमला किया, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने तत्काल लपक लिया और विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखा, जिसके जवाब में भाजपा को भारत की राजनीति करने का मौका मिला।

Published by हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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