nayaindia white paper in parliament श्वेत पत्र, अधूरी सचाई

श्वेत पत्र, अधूरी सचाई

हर हिंदू को महाभारत की लड़ाई दौरान सत्यनिष्ठ युधिष्ठिर के आधा सच कहने का किस्सा मालूम होना चाहिए। युधिष्ठिरने द्रोणाचार्य के पास जाकर कहा था- अश्वथामा हतो, नरो वा कुंजरो। कहते हैं इस आधे सच और आधे झूठ की वजह से स्वर्ग जाते समय उनकी कनिष्ठा उंगली गल गई थी। खैर वह तो द्वापर की कहानी है, जिसके लिए कलियुग में कोई जगह नहीं है। फिर भी केंद्र सरकार की ओर से मनमोहन सिंह की सरकार के 10 साल पर लाए गए श्वेत पत्र को देख कर साफ है यह अधूरी सचाई बताने वाला दस्तावेज है। इसमें उन सचाइयों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जिसके बारे में लोगों को सच में जानना चाहिए था। हकीकत यह है कि अर्थव्यवस्था की तस्वीर बताने के लिए लाए गए 59 पन्नों के इस श्वेत पत्रमें सबसे महत्वपूर्ण जानकारियों का कोई जिक्र नहीं है।

सर्वाधिक हैरान करने वाली बात यह है कि इस 59 पन्नों के दस्तावेज में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी को लेकर एक भी चार्ट नहीं है, जिससे पता चले कि मनमोहन सिंह के 10 साल यानी 2004 से 2014 के बीच जीडीपी किस रफ्तार से बढ़ रही थी और बाद के 10 साल यानी नरेंद्र मोदी के शासन में जीडीपी की क्या रफ्तार रही? यह सही है कि जीडीपी से देश की अर्थव्यवस्था खास कर नागरिकों की स्थिति की असलियत का पता नहीं चलता है। जैसे जीडीपी के लिहाज से भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत दुनिया में 143वें स्थान पर है। वह भी तब, जब कई क्रोनी उद्योगपतियों की संपत्ति पिछले कुछ बरसों में कई गुना बढ़ी है। फिर भी जीडीपी एक महत्वपूर्ण आंकड़ा होता है, जिससे अर्थव्यवस्था का अंदाजा लगता है। बावजूद इसके अर्थव्यवस्था पर लाए गए श्वेत पत्र में जीडीपी को लेकर एक भी चार्ट या ग्राफ नहीं है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि लोगों को जीडीपी का सच नहीं बताना है। हकीकत यह है कि मनमोहन सिंह के शासन में देश की जीडीपी ज्यादा तेज रफ्तार से बढ़ रही थी। इसके उलट पिछले 10 साल में जीडीपी की रफ्तार बहुत धीमी हो गई। हालांकि सही है कि 2020 और 2021 का साल कोरोना महामारी की छाया में गुजरा। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 24 फीसदी माइनस में गई थी। उसके बाद भी कई तिमाहियों तक जीडीपी की रफ्तार बहुत मामूली रही। बाद के वर्षों में पहली तिमाही की विकास दर हमेशा बहुत ज्यादा इसलिए दिखी क्योंकि कोरोना के लगे लॉकडाउन के पीरियड की दर बहुत नीचे थी। इसलिए साल दर साल की तुलना में पहली और दूसरी तिमाही में विकास दर हमेशा ज्यादा दिखती है। लेकिन सवाल है कि यह सचाई बताने में क्या दिक्कत है? अगर नरेंद्र मोदी की सरकार इतने भरोसे में है कि उसने अर्थव्यवस्था को बहुत बेहतर किया है और जनता का इससे बहुत भला हो रहा है तो उसे यह सचाई बतानी चाहिए कि कोरोना की वजह से जीडीपी की रफ्तार धीमी रही थी। लेकिन उसने इसके आंकड़े ही छिपा लिए।

दूसरी हैरान करने वाली बात है कि 59 पन्नों के श्वेत पत्र में बेरोजगारी का कहीं जिक्र नहीं है। अंग्रेजी के एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे श्वेत पत्र में बेरोजगारी शब्द का जिक्र ही नहीं है। सोचें, जो इस देश की सबसे बड़ी समस्या है। कोरोना के पहले भी और बाद में तो यह समस्या भयावह होती गई। सोचें, 10 साल पहले बेरोजगारी की कथित मार से बचाने के लिए मोदी सरकार आई थी। उसने दावा किया था कि हर साल दो करोड़ नौकरी देंगे। सरकार पिछले एक साल से ज्यादा समय से रोजगार मेला लगा रही है और हर तीन महीने पर लाखों लोगों को नियुक्ति पत्र सौंपा जा रहा है। चुनाव की घोषणा से पहले आखिरी रोजगार मेला इसी महीने लगने वाला है। लेकिन वह सरकार बेरोजगारी पर चुप है। यह भारत सरकार का आंकड़ा है कि नरेंद्र मोदी के राज में एक समय ऐसा भी था, जब देश में बेरोजगारी दर ने 45 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया था।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें