Wednesday

30-04-2025 Vol 19

चिंता के साये में नाटो की 75वीं सालगिरह

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सोमवार को रूस ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं। जिस समय व्लादिमीर पुतिन, प्रधानमंत्री मोदी से गलबहियां कर रहे थे और दोनों नेता कूटनीतिक ठहाके लगा रहे थे, उसी समय बहुत सारी मिसाइलें यूक्रेन के बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल से टकराईं। ओखमाद्यित यूक्रेन का बच्चों का सबसे बड़ा अस्पताल है और कैंसर के इलाज के लिए विख्यात है। वहां बहुत से बच्चे कई महीनों से रह रहे थे। हमले में यह अस्पताल मलबे के ढेर में तब्दील हो गया और 36 लोग मौत के मुंह में समा गए।

कीव का ओखमाद्यित अस्पताल काफी समय से यूक्रेन के सबसे जटिल बीमारियों से जूझते और गंभीर रूप से बीमार बच्चों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता रहा है। युद्ध के शुरू होने से लेकर अब तक उसके डॉक्टरों ने रूसी बमबारी में घायल होने वाले बच्चों की जान बचाने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया है और साथ ही पहले से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे बच्चों की देखभाल भी की है।

सोमवार को यह जीवनरक्षक केंद्र तहस नहस कर दिया गया, जमींदोज कर दिया गया। यह बहुत ही बर्बर हमला था। अस्पताल को तब निशाना बनाया गया जब वहां सबसे ज्यादा भीड़भाड़ थी। ‘गार्जियन’ में छपी खबर के अनुसार, हमले के समय एक ऑपरेशन थिएटर में डॉक्टर एक बच्चे का ऑपरेशन कर रहे थे। उस थिएटर का नामोनिशान नहीं बचा है। अस्पताल के अंदर की तस्वीरों में खून से सने बच्चे, गिरी हुई छतें और बरबाद हो चुके ऑपरेशन थिएटर नजर आ रहे हैं। कितने लोग मलबे में दबे हुए हैं, यह अभी साफ नहीं है।

फरवरी 2022 में शुरू हुए आक्रमण के बाद से यह यूक्रेन की राजधानी पर किए गए सबसे भयावह हमलों में से एक था।

इस हमले ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है। चारों ओर इसकी निंदा की जा रही है और आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है। वोल्दोमीर जेलेंस्की ने बदला लेने की कसम खाई है।

नाटो के सामने यह पहली चुनौती है, जिस पर तुरंत ध्यान देकर कार्यवाही करने की आवश्यकता है। रूस के मिसाइल हमले से यह भी साफ हो गया है कि यूक्रेन की वायु रक्षा प्रणाली कितनी कमजोर है।

इस सप्ताह नाटो के नेता संगठन की 75वीं वर्षगांठ एवं उसके वार्षिक सम्मेलन के लिए वाशिंगटन में एकत्रित होंगे। वे जेन्स स्टोल्टेनबर्ग को विदाई देंगे और यूके के नए प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर का स्वागत करेंगे। वे दुबारा वही लड़ाई लड़ने का संकल्प करेंगे, जिसे लड़ने के लिए 1949 में इस संगठन का गठन किया गया था- यानी यूरोप में तत्कालीन सोवियत संघ के विस्तारवादी इरादों को थामने की कोशिश। आज 75 साल बाद भी नाटो के सामने वही शत्रु है, वही रूस है और उसकी वही दुष्टता है।

हालांकि शत्रु वही है, लेकिन नाटो पहले जैसा नहीं है। 75वीं वर्षगांठ मनाने का उद्देश्य दुनिया, रूस, पुतिन और अन्य संभावित प्रतिद्वंद्वियों को यह अहसास दिलाना था कि यह आत्मविश्वास से भरा, एकताबद्ध गठबंधन है। लेकिन वाशिंगटन में एकत्रित हो रहे नेता अनिश्चितता और दुविधा से घिरे होंगे। ‘आखिर कब तक’ यह सवाल उनके दिलोदिमाग पर छाया होगा। आंशिक रूप से यह बाहरी खतरों की वजह से होगा लेकिन मुख्यतः यह आंतरिक कारणों से होगा। इनमें सबसे प्रमुख कारण होगा पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रंप की वापसी की संभावना।

ट्रंप की नजरों में नाटो ‘जर्जर’ हो गया है और वे गठबंधन को छोड़ने की धमकी दे चुके हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने कहा कि वे “रूस को मनमानी करने देंगे”। डिबेट के बाद हुई रायशुमारियों में ट्रंप के जो बाइडेन से आगे निकल जाने के बाद से गठबंधन के महत्वपूर्ण यूरोपीय सदस्यों में इस बात पर विचार विमर्श प्रारंभ हो गया है कि गठबंधन के लिए ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के मायने क्या होंगे- और क्या वे अमेरिकी हथियारों, धन एवं गुप्तचर सूचनाओं के बिना रूस का मुकाबला कर पाएंगे।

नाटो इन 75 सालों में बहुत बदल गया है। 1949 के 12 के मुकाबले आज, जब महाशक्तियों का टकराव दुबारा प्रारंभ हो गया है, उसके 32 सदस्य हैं। पिछले साल विल्न्यूस में हुए सम्मेलन में नाटो ने शीत युद्ध के बाद पहली बार गठबंधन के देशों की भूमि की रक्षा की विस्तृत योजना को स्वीकृति दी थी। इस वर्ष गठबंधन के 23 राष्ट्र अपनी अपनी जीडीपी का दो प्रतिशत प्रतिरक्षा पर खर्च करने के लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे या उससे भी अधिक व्यय करेंगे। इसकी तुलना में सन् 2014 में केवल तीन देश ऐसा कर रहे थे और उसी कारण यह निर्णय किया गया था।

लेकिन पश्चिमी देशों में लोकलुभावन राष्ट्रवाद के जोर पकड़ने के बाद से नाटो पर खतरा मंडराने लगा है। वह पहले से ही तुर्किये के रेचेप तैय्यप अर्दोआन और हंगरी के विक्टर ओरबान जैसे नेताओें से जूझ रहा है, जो फिनलैंड और स्वीडन के गठबंधन में शामिल होने की राह में रोड़े अटका रहे हैं। ऐसे में ट्रंप के दुबारा सत्ता में आने की संभावनाएं बहुत चिंताजनक हैं। हालांकि जो बाइडेन ने जार्ज स्टेपोनोपोलिस को एबीसी के लिए दिए गए एक इंटरव्यू में पिछले सप्ताह कहा कि वे नाटो द्वारा सवाल उठाए जाने का स्वागत करेंगे और फिर जोड़ा “मेरी तरह नाटो को एक भला और कौन रख पाएगा”। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी राय है कि मुझे परखने का एक अच्छा तरीका है कि आप नाटो शिखर बैठक में आएं और देखें और सुनें कि गठबंधन के दूसरे देश (मेरे बारे में) क्या सोचते हैं”।

सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंचने वाले नेताओं ने स्वीकार किया कि नाटो एक ऐसी कसौटी पर कसा जा रहा है जिसका पूर्वानुमान उन्होंने नहीं लगाया थाः क्या ऐसे समय में वे यूक्रेन की सहायता उसी पैमाने पर करना जारी रख पाएंगे, जब गठबंधन के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य पर उनका विश्वास निम्तम स्तर पर है? जब नाटो की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही होगी तब ओखमाद्यित अस्पताल पर हुए हमले में मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही होगी। नाटो के नेताओं को लोक लुभावन वायदों, राष्ट्रवाद और ट्रंप की वापसी की संभावनाओं आदि जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा- एक ऐसे दौर में आत्मविश्वास दर्शाना पड़ेगा जब टकरावों और युद्धों की वजह से हालात बहुत बुरे हैं। नाटो ने अगर अपने को नहीं सुधारा, तो 75वीं वर्षगांठ का जश्न उसका आखिरी जश्न भी हो सकता है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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