पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के दो मतदाताओं के वोटर आईकार्ड का नंबर यानी इपिक नंबर एक होने को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाया है। ममता बनर्जी की पार्टी ने इसे लेकर चुनाव आयोग पर हमला किया है और कहा है कि मतदाता सूची में फर्जीवाड़ा हो रहा है। चुनाव आयोग ने इस पर सफाई दी और वास्तविक स्थिति बताई तो ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव आग की बातों से लग रहा है कि गड़बड़ी हुई है। हकीकत यह है कि दो वोटर आईडी कार्ड पर एक नंबर होना किसी तरह की गड़बड़ी का संकेत नहीं है। जब कार्ड मैनुअल बन रहे थे तब इस तरह की गड़बड़ी आम होती थी।
वैसे भी अगर उत्तर प्रदेश के किसी शहर में किसी व्यक्ति के वोटर आईडी कार्ड पर वह नंबर है, जो पश्चिम बंगाल के किसी मतदाता के आईडी कार्ड पर है तो इसका यह संभव नहीं है कि उत्तर प्रदेश का आदमी बंगाल में जाकर वोट डाले। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी को भी यह बात पता होगी कि उत्तर प्रदेश के आदमी के वोटर आईडी कार्ड पर उसका उत्तर प्रदेश का पता होगा और उसका नाम उत्तर प्रदेश की मतदाता सूची में नाम होगा। दूसरे, सिर्फ वोटर आईडी कार्ड लेकर जाने से कहीं वोट डालने की इजाजत नहीं मिलती है। वोट डालने के लिए जरूरी है कि वहां के मतदाता सूची में नाम हो। इसलिए ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग के खिलाफ जंग का ऐलान करने के बाद ममता की पार्टी किसी तरह से उसकी साख पर सवाल उठाना चाह रही है। हालांकि उसके और कई तरीके हैं। इस तरीके से तो तृणमूल की अपनी गंभीरता पर ही सवाल खड़े होते हैं।