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भाजपा ने गड़बड़ियां दूर करनी शुरू की

भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले तमाम राजनीतिक गड़बड़ियों को दूर करना शुरू कर दिया है। जातियों के बीच जो फॉल्टलाइंस हैं उनको ठीक करने का काम शुरू हो गया है। धर्मेंद्र प्रधान के चुनाव प्रभारी बन कर पहुंचने के बाद एक हफ्ते के अंदर इस दिशा में पहला कदम उठाया गया। भाजपा और पूरे एनडीए के लिए सबसे कमजोर शाहाबाद के इलाके में राजपूत और कुशवाहा के बीच की दूरी को कम करने के लिए भोजपुरी सिनेमा के स्टार पवन सिंह को आगे किया गया। भाजपा के प्रदेश संगठन के प्रभारी विनोद तावड़े और बिहार के नेता ऋतुराज सिन्हा उनको लेकर उपेंद्र कुशवाहा के दिल्ली स्थिति सरकारी आवास पर गए। वहां पवन सिंह ने कुशवाहा के पैर छुए और फिर कुशवाहा ने उनको गले लगाया। ध्यान रहे 2024 के लोकसभा चुनाव में शाहाबाद और मगध में भाजपा और एनडीए के बुरी तरह स हारने के पीछे पवन सिंह थे, जो काराकाट सीट पर उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ निर्दलीय खड़े हो गए थे। वहां भाजपा के कुछ नेताओं ने भितरघात किया और राजपूत पूरी तरह से पवन सिंह के साथ खड़े हो गए। इसका नतीजा यह हुआ कि पूरे इलाके में कुशवाहा भाजपा के खिलाफ हो गए।

शाहाबाद और मगध में लोकसभा की नौ सीटें हैं, जिनमें से सिर्फ दो सीटों नवादा और गया में एनडीए जीता। बाकी सात सीटों काराकाट, सासाराम, आरा, बक्सर, औरंगाबाद, जहानाबाद और पाटलीपुत्र की सीट महागठबंधन को मिली। इस इलाके में समीकरण 2015 में पहली बार बिगड़ा था, जब नीतीश कुमार एनडीए को छोड़ कर राजद के साथ चुनाव लड़े थे। उसके बाद से इसे ठीक नहीं किया जा सका। इसका असर 2020 में भी दिखा, जब शाहाबाद और मगध की 55 विधानसभा सीटों में से एनडीए को सिर्फ 10 सीटें मिलीं। सो, 2015 के बाद पहली बार एनडीए की ओर से गंभीर कोशिश हुई है। अगर राजपूत और कुशवाहा का समीकरण ठीक होता है तो एनडीए को फायदा होगा।

मगध के इलाके में दूसरी फॉल्टलाइन भूमिहार और चंद्रवंशी की है। जहानाबाद सीट भूमिहार से छीन कर चंद्रवंशी को देने के नीतीश कुमार के फैसले के बाद यह लड़ाई शुरू हुई। उन्होंने 2019 में चंद्रेश्वर चंद्रवंशी को लड़ाया तो वे किसी तरह से 12 सौ वोट से जीते। अंत में नीतीश के इस वादे पर भूमिहार मदद में उतरे कि 2024 में नीतीश यह गलती नहीं करेंगे। लेकिन 2024 में भी चंद्रवंशी को टिकट दी गई और इस बार वे बड़े अंतर से हारे। अब भूमिहार और चंद्रवंशी एक दूसरे का विरोध कर रहे हैं और दोनों एनडीए समर्थक समूह हैं। इसे ठीक करने के लिए भी पहल हुई है। कहा जा रहा है कि चंद्रवंशी की एक बहू भूमिहार जाति की हैं और उनको भूमिहार बहुल सीट से जनता दल यू की ओर से लड़ाया जाएगा। ऐसे ही एक फॉल्टलाइन पासवान बनाम मांझी की है। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी कई मामलों में आमने सामने हैं। पासवान एससी आरक्षण में वर्गीकरण का विरोध कर रहे हैं, जबकि मांझी उसके समर्थन में हैं। दूसरे, इमामगंज सीट पर उपचुनाव में चिराग पासवान ने मांझी की बहू का प्रचार नहीं किया था और उनकी जाति के वोट प्रशांत किशोर की पार्टी के पासवान उम्मीदवार को चले गए थे। मगध के इलाके में एक फॉल्टलाइन नीतीश बनाम चिराग पासवान का भी है। पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग अपने को नरेंद्र मोदी का हनुमान बता कर चुनाव लड़ रहे थे और नीतीश की पार्टी के हर उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा था। तब से दोनों के मतदाता एक दूसरे को हराने के लिए कमर कसे हुए हैं। चुनाव से पहले इनको भी ठीक करना होगा।

By NI Political Desk

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