लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के पार्टी और परिवार से निष्कासन का तात्कालिक कारण उनका प्रेस प्रसंग रहा, जिसकी तस्वीरें और खबरें सामने आ गईं। लेकिन असल में यह लालू परिवार के अंदर चल रहे सत्ता संघर्ष का नतीजा है। लालू प्रसाद के परिवार में पिछले काफी समय से वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। तेजस्वी यादव पार्टी के एक तरह से सर्वोच्च नेता हो गए हैं।
लालू प्रसाद ने खुद ऐलान किया है कि राजद की सरकार बनी तो तेजस्वी मुख्यमंत्री होंगे। पिछले दिनों अरसे बाद लालू जनसपंर्क के लिए निकले तो उन्होंने ऐलान किया कि अगले चुनाव के बाद तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता है। वे दो बार उप मुख्यमंत्री रहे हैं और तीन बार नेता प्रतिपक्ष बने हैं। सोचें, करियर उनका सिर्फ 10 साल का है!
इतना सब कुछ मिलने के बाद भी तेजस्वी असुरक्षित हैं। वे अपने आसपास ऐसे लोगों का घेरा बना रहे हैं, जो उनके प्रति निष्ठावान हों। तभी पार्टी की रणनीति बनाने और हर चीज तय करने का काम उन्होंने हरियाणा के संजय यादव को दिया और बाद में उनको राज्यसभा भी भेजा। खबर है कि राज्यसभा जाने के बाद उन्होंने अब अपने भाई को भी पटना में बैठा दिया है।
इस बात से लालू प्रसाद के परिवार में बहुत नाराजगी थी। तेज प्रताप बार बार अपनी नाराजगी जाहिर करते थे और संजय यादव के खिलाफ बयान देते थे। इतना ही नहीं वे तेजस्वी को मुख्यमंत्री तो मानते थे लेकिन अपनी समानांतर राजनीति भी चलाते थे। वे हर सीट पर किसी न किसी को उम्मीदवार बनाए रखते थे। पार्टी संगठन में लोगों को पदाधिकारी बनाते थे या बनाने का वादा करते थे। वे जाने अनजाने में तेजस्वी के करीबी नेतओं को निशाना भी बनाते थे। अपनी मां राबड़ी देवी के लाड़ले हैं तो कोई उनको कुछ नहीं कह पाता था।
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इस आंतरिक संघर्ष में दूसरी खिलाड़ी मीसा भारती हैं। लालू और राबड़ी की सबसे बड़ी संतान, जिन्हें लालू प्रसाद ने दो बार राज्यसभा में भेजा। वे तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ीं और तीसरी बार में जीती हैं। तेजस्वी और उनकी टीम से वे भी नाराज रहती हैं और इसलिए उनका समर्थन हमेशा तेज प्रताप के साथ रहता है। मीसा और तेज प्रताप दोनों लालू प्रसाद पर इस बात के लिए दबाव बनाए रखते हैं कि पार्टी में शक्ति का संतुलन होना चाहिए। अगर तेजस्वी मुख्यमंत्री बनेंगे तो पार्टी मीसा की कमान में होनी चाहिए।
तभी कुछ समय पहले मीसा भारती ने पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की कोशिश की थी। उन्होंने लालू प्रसाद से कहा था कि उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाए। इस मसले पर झगड़ा इतना बढ़ गया था कि मारपीट की नौबत आ गई थी और मीसा भारती अपनी मां राबड़ी देवी का घर छोड़ कर पटना के एक होटल में रहने चली गई थीं। उसी समय तेजस्वी यादव ने भी अपनी पत्नी और बेटी को कोलकाता भेज दिया था।
लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के पुराने सलाहकारों का एक बड़ा हिस्सा तेजस्वी व उनकी टीम के कारण अलग थलग हुआ है। उनका भी समर्थन मीसा और तेज प्रताप को मिलता है। तभी तेजस्वी और उनकी टीम यह जोड़ी तोड़ने में लगी थी। विधानसभा चुनाव के लिए सहयोगी पार्टियों से सीट बंटवारे का फैसला होने और टिकटों का बंटवारा शुरू होने से पहले तेज प्रताप को निपटा कर तेजस्वी ने अपनी पकड़ मजबूत की है।
असल में कई पुराने नेता मीसा और तेज प्रताप के संपर्क में हैं टिकट के लिए। तेजस्वी उनको टिकट नहीं देना चाहते हैं। तेजस्वी के पास संजय़ यादव की तैयार की गई सूची है। मीसा इस खेल को समझ रही हैं तभी उन्होंने तेज प्रताप का साथ दिया है।
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