प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगाया है। मलिक भ्रष्टाचार के खिलाफ क्रूसेडर बने थे और उनका दावा है कि वे जब जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे तब उनके सामने दो परियोजनाओं की फाइल आई थी, जिसमें उनको तीन सौ करोड़ रुपए की रिश्वत का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। उनका यह भी दावा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी जानकारी दी। सत्यपाल मलिक अभी बीमार हैं और उसी स्थिति में उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट करके कहा कि वे इतने बरसों तक सार्वजनिक जीवन में रहे लेकिन अब भी दो कमरे के छोटे से मकान में रहते हैं, सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं और उनके ऊपर कुछ कर्ज भी है।
लेकिन अब केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने उनके ऊपर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। सीबीआई ने अदालत में दायर आरोपपत्र में कहा है कि सत्यपाल मलिक ने अपने दो करीबी सहयोगियों के जरिए रिश्वत ली। ध्यान रहे कुछ दिन पहले सीबीआई ने उनके घर पर और उनके कुछ करीबी सहयोगियों के घर पर छापा मारा था। अंग्रेजी के अखबार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने सीबीआई की चार्जशीट को लेकर खबर छापी है। हालांकि अखबार का कहना है कि उसने चार्जशीट खुद नहीं देखी है लेकिन एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि सत्यपाल मलिक के करीबी सहयोगी वीरेंद्र राणा और कंवरपाल सिंह राणा के जरिए रिश्वत ली गई और मनी ट्रेल स्थापित हो गई है। रिपोर्ट में यह खुलासा नहीं किया गया है कि रिश्वत की रकम कितनी है। एजेंसी ने कहा है कि दो परियोजना के बदले में पटेल इंजीनियरिंग से तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक को रिश्वत मिली है। गौरतलब है कि वे अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक राज्यपाल रहे थे। उनकी सिफारिश पर ही नवंबर 2018 में जम्मू कश्मीर की निलंबित रखी गई विधानसभा भंग की गई थी। हालांकि उस समय नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस ने मिल कर सरकार बनाने की पहल की थी। लेकिन उनकी सरकार बनवाने की बजाय मलिक ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश की। बहरहाल, वे भाजपा और मोदी विरोधी खेमे के पसंदीदा बने हुए हैं और अब उनके ऊपर सीधे रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं।