कांग्रेस पार्टी और प्रादेशिक सहयोगियों के बीच शह मात का खेल चल रहा है। उस खेल का एक मैदान उत्तर प्रदेश भी है। सोशल मीडिया में यह मजाक चल रहा है कि बिहार में तेजस्वी यादव को निपटाने के बाद कांग्रेस का अगला मोर्चा उत्तर प्रदेश है। हो सकता है कि यह एक मनोवैज्ञानिक खेल है, जिसका मकसद कांग्रेस को अलग थलग करना हो लेकिन धारणा के स्तर पर यह प्रचारित किया जा रहा है कि राहुल गांधी को प्रादेशिक पार्टियां पसंद नहीं हैं और वे उन सबको खत्म करके पूरे देश में भाजपा बनाम कांग्रेस की लड़ाई बनाना चाहते हैं। इस लड़ाई का चैंपियन पहले से राहुल को बनाया जा रहा है। यह धारणा स्थापित कर दी गई है कि भाजपा के खिलाफ सिर्फ कांग्रेस और राहुल गांधी ही लड़ सकते हैं। हो सकता है कि कांग्रेस प्रादेशिक पार्टियों को निपटाने के आरोप सही नहीं हों लेकिन पार्टिया संशकित हैं।
बहरहाल, बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में सपा बनाम कांग्रेस का माहौल अभी से बनने लगा है, जबकि चुनाव डेढ़ साल के बाद हैं। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कुछ समय पहले कहा था कि कांग्रेस अब 17 सीट वाली पार्टी नहीं है। ध्यान रहे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें मिली थीं, जिसमें से वह छह सीटों पर जीती, जबकि 63 सीटें लड़ कर सपा ने 37 सीटें जीत लीं। अब सहारनपुर के सांसद इमरान समूद ने अखिलेश यादव पर टिप्पणी की है। उनसे पूछा गया कि अखिलेश के राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन को लीड करने की चर्चा है तो मसूद ने कहा कि पहले वे उत्तर प्रदेश तो लीड कर लें। इसके बाद उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के आगे कोई नहीं है। इसके जवाब में सपा ने कहा कि अगर उनका समर्थन नहीं मिलता तो मसूद कभी लोकसभा का मुंह नहीं देख पाते। मसूद पर अखिलेश यादव भी जवाब दे चुके हैं।


