बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति से सबसे ज्यादा चिंता विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में है। तभी राहुल गांधी ने नीतीश को फोन करके उनके मन की थाह लेने की कोशिश की थी। तब उन्होंने कहा था कि सब ठीक है। लेकिन बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेता इस बात से नाराज हैं कि जब नीतीश ने ही समूचे विपक्ष को एकजुट किया तो उनको अभी तक विपक्षी गठबंधन का संयोजक क्यों नहीं बनाया गया? ध्यान रहे नीतीश से पहले चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास किया था लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी। तभी नीतीश भी अपने को विपक्षी गठबंधन का स्वाभाविक नेता मान रहे थे। लेकिन चार बैठक के बाद भी उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं मिली।
उलटे पिछली बैठक में ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम की घोषणा कर दी, जिसका अरविंद केजरीवाल ने समर्थन किया। उसके बाद से नीतीश भाजपा के प्रति खुल कर प्रेम दिखाने लगे। बताया जा रहा है कि चौथी बैठक में कांग्रेस की ओर से नीतीश को संयोजक बनाने का प्रस्ताव किया जाना था। लेकिन ममता ने उस दिन अपना दांव चल दिया। अब कांग्रेस को चिंता हो गई है कि अगर नीतीश को संयोजक बनाया और उसके बाद उन्होंने पाला बदल दिया तब तो विपक्षी गठबंधन पूरी तरह से पंक्चर हो जाएगा। पिछले दिनों बिहार के नेताओं के साथ खड़गे और राहुल की बैठक हुई थी, जिसमें बिहार कांग्रेस के नेता शकील अहमद खान ने कहा कि बिहार में भाजपा को टक्कर देने के लिए नीतीश का साथ होना बहुत जरूरी है। उनके बगैर भाजपा से नहीं लड़ा जा सकेगा। तभी कांग्रेस और दूसरे विपक्षी नेता नीतीश को लेकर दुविधा में हैं।