कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया खुद अपनी मुश्किलें बढ़ाते जा रहे हैं। उनकी पत्नी पार्वती बीएम ने मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण यानी मुडा से मिले प्लॉट वापस करने का प्रस्ताव देकर संदेह गहरा कर दिया और उसके बाद मुडा ने भी उनका सरेंडर स्वीकार करने का आदेश देकर इस मामले को और संदिग्ध बना दिया। सिद्धारमैया की पत्नी अब तक इस मामले में चुप थीं। मुडा की जमीन की गड़बड़ी के आरोप काफी समय से लग रहे हैं। लेकिन उन्होंने कोई बयान नहीं दिया या उन्होंने प्लॉट वापस करने की कोई बात नहीं कही। लेकिन जैसे ही इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी का दखल हुआ है वैसे ही उन्होंने प्लॉट वापस करने का प्रस्ताव दिया, जिसे तत्काल स्वीकार कर लिया गया।
हालांकि पहले सिद्धारमैया ने इस पर हैरानी जताई कि उनकी पत्नी क्यों प्लॉट वापस करना चाहती हैं लेकिन तुरंत बाद मुडा ने सब रजिस्टार को प्लॉट का सरेंडर स्वीकार करने का आदेश दे दिया। अब सवाल है कि क्या सिद्धारमैया भी प्लॉट लौटाएंगे और उनकी पत्नी के भाई का क्या होगा, क्या वे भी प्लॉट सरेंडर करेंगे? प्लॉट लौटाने की बात कहते ही भाजपा को मौका मिल गया। उसने कहा कि अगर सही तरीके से प्लॉट का आवंटन हुआ था तो उसे लौटाने की क्या जरुरत है? क्या प्लॉट लौटाने से जांच बंद हो जाएगी या गड़बड़ी छिप जाएगी? अब इसमें जो कार्रवाई होनी है वह तो होकर रहेगी। लोकायुक्त पुलिस की भी जांच होगी और ईडी की भी जांच होगी। आवंटन में कथित गड़बड़ी के साथ साथ धन शोधन के मामले की भी जांच होगी। कांग्रेस अभी तो सिद्धारमैया का साथ दे रही है लेकिन पता नहीं कब तक देगी।