भारतीय जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए एक नई डेडलाइन सामने आई है। पार्टी के जानकार सूत्रों ने बताया है कि अगले महीने शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से पहले पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा। इस बार सरकार ने विपक्ष की विशेष सत्र की मांग को खारिज करने के लिए सत्र से 47 दिन पहले तारीखों का ऐलान किया।
सो, अब मानना चाहिए कि 21 जुलाई से पहले भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। इससे पहले डेडलाइन दी गई थी कि नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार की पहली सालगिरह यानी नौ जून से पहले पार्टी का नया अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। उससे पहले अप्रैल की डेडलाइन थी।
उससे पहले जनवरी की डेडलाइन थी और उससे भी पहले जब जेपी नड्डा को कार्यकाल का विस्तार दिया गया था तब कहा गया था कि राज्यों के चुनाव के बाद नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाएगा। इस लिहाज से डेडलाइन नवंबर 2024 की थी। वैसे नड्डा को सेवा विस्तार लोकसभा चुनाव तक यानी जून 2024 तक ही मिला हुआ था।
बहरहाल, अब नई डेडलाइन 21 जुलाई 2025 है। इसके अलावा एक और डेडलाइन पार्टी के जानकार सूत्रों ने दी है और वह है राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव का। कहा गया है कि 21 जून तक आधे से ज्यादा राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो जाएगा।
अगला भाजपा अध्यक्ष कौन?
ध्यान रहे अभी सिर्फ 14 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुने गए हैं और ज्यादातर बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, झारखंड आदि राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ है। भाजपा के संविधान के मुताबिक कम से कम आधे राज्यों में संगठन चुनाव होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा।
जानकार सूत्रों का कहना है कि प्रदेशों में संगठन का चुनाव इसलिए टाला गया है क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर सहमति नहीं बन रही है। अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की सहमति बन गई तो तुरंत प्रदेशों के चुनाव हो जाएंगे और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुन लिया जाएगा। सो, अगर जून में प्रदेशों में संगठन का चुनाव हो जाता है तो इस बात की संभावना रहेगी कि जुलाई में नया अध्यक्ष चुन लिया जाएगा।
अब सवाल है कि नया अध्यक्ष कौन होगा? जिन नामों की चर्चा हो रही है उनमें से किसी को बनाया जाएगा या कोई चौंकाने वाला नाम सामने आएगा। ध्यान रहे भाजपा का मौजूदा नेतृत्व चौंकाने में बहुत यकीन करता है और इसका ट्रैक रिक़ॉर्ड यह है कि किसी भी पद के लिए जिसके नाम की चर्चा हो जाती है उसको नहीं चुना जाता है।
इसलिए शिवराज सिंह चौहान, धर्मेंद्र प्रधान, मनोहर लाल खट्टर, सुनील बंसल जैसे तमाम नाम, जिनकी चर्चा है हो सकता है कि उनमें से किसी को मौका नहीं मिले और कोई ऐसा नाम सामने आए, जिसके बारे में सोचा भी नहीं गया हो। हालांकि कई लोग इस थ्योरी को खारिज करते हैं और उनका कहना है कि सरकार के मामले में तो यह सही है कि नरेंद्र मोदी चौंकाने वाला नाम मंत्रिमंडल में शामिल कर लेते हैं
या चौंकाने वाले नाम के तौर पर लोकसभा के स्पीकर का नाम सामने आया या राज्यों में मुख्यमंत्री ऐसे चुने गए, जिनके नाम की कहीं चर्चा नहीं थी लेकिन संगठन के मामले में ऐसा नहीं हो सकता है।
संगठन के मामले में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की न्यूनतम सहमति जरूरी होती है। तभी यह कहा जा रहा है कि अगर संभावित नामों में से किसी को अध्यक्ष नहीं चुना जाता है तब भी वह नाम बहुत चौंकाने वाला नहीं होगा। यानी कोई चर्चित और संगठन के लिए काम कर चुका नेता ही अध्यक्ष होगा।
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