राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस साल बजट पेश करने से समय से लगातार जन कल्याण की योजनाओं की घोषणा करते जा रहे हैं। तभी कई स्वतंत्र पर्यवेक्षक भी मान रहे हैं कि बजट सत्र से पहले और सत्र के बाद के राजस्थान के राजनीतिक हालात में बहुत फर्क आया है। उन्होंने राज्य स्तर पर जो योजनाएं शुरू कीं वह अपनी जगह है लेकिन बताया जा रहा है कि सरकार ने विधायकों के क्षेत्र के हिसाब से भी योजनाएं बनाई हैं, जिससे क्षेत्र में विधायकों के खिलाफ बनी पांच साल की एंटी इन्कम्बैंसी को कम करने में मदद मिलेगी। इन योजनाओं के जरिए जनता तक भी यह मैसेज पहुंचा है कि अगर विधायक को हराया तो योजना ठप्प हो सकती है। ध्यान रहे अपने पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी तरह दर्जनों योजनाएं घोषित कर दी थीं, मतदाताओं के एक बड़े तबके ने उनको पूरा करने के लिए ही दूसरी बार वोट किया था।
बहरहाल, बजट सत्र से घोषित तमाम योजनाओं के साथ अब गहलोत सरकार ने ‘मास्टरस्ट्रोक’ चला है। गहलोत ने राजस्थान को पहला राज्य बना दिया है, जिसने न्यूनतम आय की गारंटी दी है। कानून बना कर हर नागरिक को हर साल न्यूनतम आय सुनिश्चित किया है। यह पहली योजना है, जो सामाजिक सुरक्षा पेंशन की गारंटी देती है, हर परिवार को साल में 125 दिन के रोजगार की गारंटी देती है और हर परिवार को न्यूनतम मासिक आय की गारंटी देती है। ये तीन चीजें इस योजना में सबसे खास हैं। इस योजना के मुताबिक बुजुर्ग, दिव्यांग, विधवा और अकेली महिला को हर महीने एक हजार रुपए न्यूनतम पेंशन मिलेगी और हर वित्तीय वर्ष में जुलाई में पांच फीसदी और जनवरी में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। यानी बेस रेट से 15 फीसदी की बढ़ोतरी हर साल होगी। शहरों के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना और महात्मा गांधी नरेगा के तहत 125 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। अगर अभी इस योजना को अभी लागू करके लोगों को लाभ पहुंचाना शुरू कर दिया गया तो अगले चुनाव में यह योजना गेमचेंजर साबित हो सकती है।