nayaindia Rajya Sabha Election कर्नाटक, हिमाचल में खेल नहीं कर सकेगी भाजपा

कर्नाटक, हिमाचल में खेल नहीं कर सकेगी भाजपा

राज्यसभा के दोवार्षिक चुनावों में भाजपा समय रहते तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में पीछे हट गई और निर्विरोध चुनाव होने दिया लेकिन तीन अन्य राज्यों- उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में अतिरिक्त उम्मीदवार देकर चुनाव की नौबत ला दी है। इन तीनों राज्यों में 27 फरवरी को चुनाव होगा। लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि भाजपा इनमें से दो राज्यों- हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कोई खेला कर पाएगी। हां, उत्तर प्रदेश में जरूर वह अपना आठवां उम्मीदवार जीता सकती है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 10 सीटें खाली हुई हैं, जिनमें से सामान्य गणित के हिसाब से भाजपा को सात और समाजवादी पार्टी को तीन सीटें मिलने वाली थीं। लेकिन भाजपा ने संजय सेठ को आठवें उम्मीदवार के तौर पर उतार दिया। राज्य में एनडीए के 286 विधायक हैं और सात सीटों के लिए 259 वोट की जरुरत है। यानी उसके पास 27 वोट बचते हैं। आठवीं सीट के लिए उसे नौ या 10 वोट का इंतजाम करना होगा। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के पास 110 विधायक हैं और तीन सीट के लिए उसे एक अतिरिक्त वोट की जरुरत होगी। माना जा रहा है कि यूपी में भाजपा क्रॉस वोटिंग कराने में कामयाब हो सकती है।

लेकिन हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में ऐसा संभव नहीं लग रहा है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 40 विधायक हैं। दूसरी ओर भाजपा के पास सिर्फ 25 विधायक हैं। तीन अन्य विधायक निर्दलीय हैं। राज्य में एक ही सीट खाली हुई है इसलिए एक सीट जीतने के लिए 35 वोट की जरुरत है। कांग्रेस ने अभिषेक सिंघवी को उम्मीदवार बनाया है, जिन्हें बाहरी बता कर भाजपा ने हर्ष महाजन को उम्मीदवार बनाया है। वहां प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह राज्यसभा जाना चाहती थीं। तभी भाजपा कांग्रेस में फूट की उम्मीद कर रही है। लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस के अंदर कोई विभाजन नहीं है। प्रदेश और केंद्रीय दोनों सिंघवी को चाहते हैं। इसलिए कोई खेला नहीं हो सकता है।

उधर कर्नाटक में चार सीटें खाली हुई हैं और एक सीट जीतने के लिए 45 वोट चाहिए। कांग्रेस के पास 135 विधायक हैं, तीन सीट के लिए उसको इतने ही वोट की जरुरत है। दूसरी ओर भाजपा और जेडीएस के 85 विधायक हैं। उसे दो सीट जीतने के लिए पांच अतिरिक्त वोट की जरुरत है, जबकि अन्य और निर्दलीय के चार विधायक हैं। सो, मामला करीबी दिख रहा है लेकिन कांग्रेस का प्रबंधन बेहतर है। दूसरी ओर जेडीएस के सिर्फ 19 विधायक हैं और उसने भाजपा के दम पर अपना उम्मीदवार उतारा है। सो, उसके लिए अतिरिक्त वोट जुटाना मुश्किल दिख रहा है।

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