अयोध्या में राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण करीब करीब सभी विपक्षी नेताओं को मिला और सबने अपने अपने तरीके से निमंत्रण अस्वीकार किया। लेकिन कांग्रेस, लालू प्रसाद और सीताराम येचुरी के निमंत्रण ठुकराने का अंदाज अलग और एक जैसा था, जबकि शरद पवार, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल आदि का एक जैसा अंदाजा था। सोशल मीडिया में पवार, अखिलेश और केजरीवाल की खूब तारीफ हो रही है, जबकि कांग्रेस और लालू, येचुरी की आलोचना हो रही है। कांग्रेस ने लेफ्ट नेताओं की तरह साफ साफ लिखा कि वह निमंत्रण ससम्मान अस्वीकार कर रहे हैं। इसी तरह लालू प्रसाद ने भी दो टूक कहा कि वे अयोध्या नहीं जाएंगे। सीताराम येचुरी ने भी इसी अंदाज मे निमंत्रण ठुकराया था।
इसके उलट केजरीवाल ने कहा कि निमंत्रण अकेले आने का मिला है, जबकि उनके माता-पिता की बड़ी इच्छा है अयोध्या जाने की। इसलिए वे 22 जनवरी के कार्यक्रम के बाद पूरे परिवार के साथ अयोध्या जाएंगे। इसी तरह की चिट्ठी अखिलेश यादव ने लिखी और कहा कि वे 22 जनवरी के बाद पूरे परिवार के साथ अयोध्या जाएंगे। शरद पवार ने भी चिट्ठी में लिखा कि जब मंदिर निर्माण पूरा हो जाएगा तो वे दर्शन के लिए जाएंगे। इन तीनों नेताओं ने निमंत्रण के लिए आभार जताया और मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो इसके लिए शुभकामना भी दी। उद्धव ठाकरे और ममता बनर्जी ने तो 22 जनवरी को दूसरे मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना का कार्यक्रम भी बनाया। इन नेताओं ने हिंदू भावनाओं का ख्याल रखते हुए अपना जवाब भेजा, जबकि कांग्रेस और लालू प्रसाद ने इसके उलट रवैया अपनाया।