बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने जब से अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाया है, तब से इस बात का इंतजार किया जा रहा है कि मुख्यधारा की पार्टियां खास कर भाजपा इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। लेकिन चार दिन बाद भी आधिकारिक रूप से इस पर कुछ नहीं कहा गया है। प्रदेश के कुछ नेताओं ने बयान जरूर दिए हैं लेकिन वह कांग्रेस, भाजपा या सपा की आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं है। अब सवाल है कि परिवारवाद, वंशवाद के मुद्दे पर विपक्ष को निशाना बनाने वाली भाजपा क्या इस मसले पर चुप रह जाएगी? वह बुआ भतीजे का मामला नहीं उठाएगी?
ध्यान रहे उत्तर प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव में जब सपा और बसपा का तालमेल हुआ था तब भाजपा ने बुआ-भतीजे को निशाना बनाया था। इसी तरह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक को निशाना बनाने के लिए भाजपा बुआ-भतीजे का जुमला बोलती रहती है। लेकिन मायावती ने जब अपने असली भतीजे को उत्तराधिकारी बनाया और पूरे देश में पार्टी को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी सौंपी तो भाजपा खामोश हो गई। गौरतलब है कि पिछले काफी समय यह माना जा रहा है कि मायावती निष्क्रिय होकर भाजपा की परोक्ष मदद कर रही हैं। क्या भाजपा ने इस वजह से चुप्पी साधी है? या भाजपा इंतजार कर रही है कि मायावती क्या करती हैं? वे अगर फिर से तालमेल के लिए आगे बढ़ती है क्या तब भाजपा की ओर से हमला शुरू होगा? या भाजपा नहीं चाहती है कि उनके समर्थक मतदाता समूह में कोई गलत मैसेज जाए इसलिए वह चुप है?