कुछ दिन पहले तक कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोले रखने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अचानक कांग्रेस पर बहुत नरम हो गए हैं। उन्होंने सीट बंटवारे की बातचीत फाइनल होने से पहले ही कांग्रेस के लिए 11 सीटें छोड़ने का ऐलान कर दिया। इसके बाद भी बातचीत जारी रही और कहा गया कि सपा कुछ और सीटें छोड़ सकती है। इस बीच अखिलेश यादव ने आगे बढ़ कर कहा कि कांग्रेस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने का न्योता नहीं दिया है। इसके बाद कांग्रेस ने न्योता दिया और अखिलेश अमेठी या रायबरेली में उस यात्रा में शामिल होने को तैयार हो गए। सोचें, कांग्रेस के किसी सहयोगी पार्टी का कोई बड़ा नेता यात्रा में शामिल नहीं हुआ है पर अखिलेश होंगे। उनके इस सद्भाव का कारण जयंत चौधरी की पार्टी रालोद है, जिसके बारे में खबर है कि वह भाजपा के साथ एनडीए में जा सकती है।
अखिलेश यादव ने रालोद के लिए सात सीटें छोड़ी हैं। हालांकि रालोद के नेता दो और सीटों की मांग कर रहे थे और एकाध सीट बदलने की बात भी हो रही थी। इस बीच खबर आई है कि रालोद की बातचीत भाजपा से चल रही है और सपा की सात सीटों के बदले जयंत चौधरी भाजपा के साथ चार या पांच सीट लेकर जा सकते हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से उनको चार सीटों का प्रस्ताव दिया गया है, जबकि वे पांच सीट मांग रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि रालोद की बातचीत का अंदाजा अखिलेश को था तभी उन्होंने कांग्रेस की ओर से हाथ बढ़ाया। अकेले लड़ने की बजाय कांग्रेस के साथ लड़ना फिर भी बेहतर विकल्प है। ध्यान रहे जयंत चौधरी को सपा ने अपने कोटे से राज्यसभा की सीट दी थी लेकिन उनको पता है कि भाजपा के साथ उनकी पार्टी का रिकॉर्ड सौ फीसदी जीत का है। वे जीतनी सीटें लड़ेंगे उतनी जीत जाएंगे और केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो मंत्री भी बन जाएंगे।