देश भर में उप मुख्यमंत्रियों के मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है। अपवाद के लिए ही कुछ उप मुख्यमंत्री आगे चल कर मुख्यमंत्री बन पाए। यही हाल उप प्रधानमंत्रियों का रहा है। भारत में अब तक सात उप प्रधानमंत्री हुए। सरदार वल्लभ भाई पटेल पहले उप प्रधानमंत्री थे और लालकृष्ण आडवाणी आखिरी। ये दोनों प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। यशवंत राव चव्हाण, जगजीवन राम और देवीलाल भी प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे। मोरारजी देसाई और चौधरी चरण सिंह दो नेता पहले उप प्रधानमंत्री रहे और फिर प्रधानमंत्री रहे। अगर उप मुख्यमंत्रियों के मुख्यमंत्री बनने की बात करें तो मौजूदा समय में सिर्फ एमके स्टालिन हैं। हालांकि उनके भी उप मुख्यमंत्री रहते डीएमके तमिलनाडु का चुनाव हार गई थी और उसके बाद 10 साल संघर्ष करके वे मुख्यमंत्री बने। अगर बिहार की बात करें तो कर्पूरी ठाकुर एकमात्र अपवाद हैं, जो पहले करीब एक साल तक उप मुख्यमंत्री रहे और उसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री बने। बिहार में सात नेता नौ बार उप मुख्यमंत्री बने हैं।
तभी सवाल है कि क्या बिहार में कर्पूरी ठाकुर का इतिहास दोहराया जाएगा? यह सवाल इसलिए है क्योंकि एक मौजूदा उप मुख्यमंत्री और एक पूर्व उप मुख्यमंत्री को ही मुख्यमंत्री का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। ध्यान रहे कर्पूरी ठाकुर 1967 में महामाया प्रसाद की सरकार में उप मुख्यमंत्री बने थे। उस सरकार को जनसंघ का समर्थन था। बाद में वे जनसंघ के समर्थन से ही मुख्यमंत्री बने। अगर यह इतिहास दोहराता है तो भाजपा के सम्राट चौधरी मुख्यमंत्री बन सकते हैं। वे लगभग दो साल से राज्य के उप मुख्यमंत्री हैं। दूसरी ओर दो बार उप मुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। उनको महागठबंधन ने आधिकारिक रूप से दावेदार बनाया है। उनसे पहले सुशील मोदी ऐसे नेता रहे जो तीन बार उप मुख्यमंत्री बने। पहले वे 2005 से 2013 तक उप मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने दो बार शपथ ली, जबकि तीसरी बार वे 2017 में उप मुख्यमंत्री बने। वे करीब 11 साल उप मुख्यमंत्री रहे लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।


