विपक्षी पार्टियां कमाल की राजनीति कर रही हैं। सब एक दूसरे को भाजपा की बी टीम बता रही हैं और एक दूसरे पर भाजपा को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा रही हैं। सवाल है कि जब सारी विपक्षी पार्टियां किसी न किसी राज्य में भाजपा को लाभ पहुंचा रही हैं तो भाजपा से लड़ कौन रहा है? एक तरफ सब अपने को भाजपा से लड़ने वाली इकलौती ताकत बता रहे हैं तो दूसरी ओर उनके लड़ने से भाजपा को लाभ हो रहा है। यह सबकी आंखों के सामने हो रहा है। लेकिन सब एक दूसरे की शिकायत कर रहे हैं। इसे ठीक करने का प्रयास कोई नहीं कर रहा है। पहले इस तरह का आरोप प्रत्यारोप पार्टियों के प्रवक्ताओं के स्तर पर होता था लेकिन अब शीर्ष नेताओं के स्तर पर होने लगा है।
कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह मेघालय का चुनाव इसलिए लड़ रही है ताकि भाजपा की मदद की जा सके। उन्होंने गोवा के चुनाव की मिसाल दी, जहां आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के लड़ने का फायदा भाजपा को मिला था और कहा कि तृणमूल कांग्रेस मेघालय का चुनाव इसलिए लड़ रही है ताकि गोवा की तरह यहां भी भाजपा को सत्ता में लाया जा सके। हालांकि भाजपा मेघालय की सत्ता में आएगी, ऐसा कोई नहीं कह रहा है। पिछले चुनाव में उसे सिर्फ दो सीटें मिली थीं। इस बार मुख्य मुकाबला मुख्यमंत्री कोनरेड संगमा की पार्टी एनपीपी, कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के तमाम विधायकों को लेकर मुकुल संगमा के नेतृत्व में लड़ रही तृणमूल कांग्रेस के बीच है। यूडीएफ और भाजपा मुख्य मुकाबले में नहीं हैं।
त्रिपुरा में भी तृणमूल कांगेस के ऊपर कांग्रेस और लेफ्ट के नेताओं ने आरोप लगाया कि वह भाजपा की मदद कर रही है। उधर राजस्थान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने एमआईएम के नेता असदुदीन ओवैसी पर निशाना साधा और उन पर भाजपा की मदद करने का आरोप लगाया। ओवैसी के ऊपर देश भर में यह आरोप लगता रहता है। वे अपने को भाजपा से लड़ने वाली सबसे मुखर पार्टी के रूप में दिखाते हैं सारी विपक्षी पार्टियां मानती हैं कि उनकी लड़ाई भाजपा से नहीं, बल्कि विपक्ष से है। वे अपने छोटे फायदे और भाजपा के बड़े लाभ के लिए ही राजनीति कर रहे हैं।
बहरहाल, ममता बनर्जी की पार्टी के नेता कांग्रेस और लेफ्ट को पश्चिम बंगाल में भाजपा की बी टीम बताते हैं और उनका दावा है कि ये दोनों पार्टियां भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए लड़ती हैं। उत्तर प्रदेश में सपा की नजर में बसपा और कांग्रेस का मकसद भाजपा को लाभ पहुंचाना है तो बसपा ने रामचरितमानस विवाद को लेकर कहा कि सपा यह राजनीति भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए कर रही है। उधर कर्नाटक में कांग्रेस के लिए जेडीएस की राजनीति भाजपा को फायदा पहुंचाने की है तो तेलंगाना में यही आरोप केसीआर की पार्टी कांग्रेस पर लगाती है। पलट कर कांग्रेस पूरे देश में केसीआर की पार्टी बीआरएस की राजनीति को लेकर कांग्रेस का कहना है कि वह भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा कर रही है। इस तरह सारी विपक्षी पार्टियां कहीं न कहीं भाजपा को लाभ पहुंचा रही हैं।