पूर्वोत्तर में भाजपा की ताकत हिमंत बिस्वा सरमा के कारण बढ़ी, इसमें किसी को संदेह नहीं है लेकिन क्या अब उनकी वजह से ही पूर्वोत्तर में भाजपा के अंदर खींचतान शुरू हो गई है और पार्टी के साथ साथ गठबंधन भी कमजोर हो रहा है? ध्यान रहे इस समय पूर्वोत्तर के कम से कम दो राज्यों- त्रिपुरा और मणिपुर में भाजपा के अंदर संकट है। दोनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों के खिलाफ पार्टी के नेताओं ने मोर्चा खोला है। मणिपुर में चार विधायकों ने सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया है। त्रिपुरा में तो पार्टी के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने ही मोर्चा खोला है। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि बाहरी लोगों की वजह से भाजपा की स्थिति बिगड़ी है और कामकाज प्रभावित हुआ है। ध्यान रहे राज्य के मुख्यमंत्री मानिक साहा कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे।
बहरहाल, जानकार सूत्रों का कहना है कि बिप्लब देब ने बाहरी लोगों पर जो हमला किया है उसमें एक निशाना हिमंत बिस्वा सरमा भी हैं। वे भी मानिक साहा से कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए थे। बताया जा रहा है कि देब सहित भाजपा के कई पुराने नेता हिमंत सरमा का कद बढ़ने से नाखुश हैं। वे दूसरे राज्यों में उनके दखल से भी नाराज हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा के नेता चाहते हैं कि हिमंता सरमा असम में अपना काम देखें। उनको समूचे पूर्वोत्तर का नेता नहीं बनाया जाए। हालांकि भाजपा आलाकमान को और खास कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को उन पर पूरा भरोसा है। उनके जरिए वे पूर्वोत्तर में दशकों पुराने सीमा विवाद को भी समाप्त करने के प्रयास में लगे हैं। फिर भी असम से लेकर त्रिपुरा, मणिपुर आदि राज्यों में उनका विरोध बढ़ सकता है।