यह हैरानी की बात है कि कांग्रेस पार्टी के करीबी सहयोगी इन दिनों बात बात में इमरजेंसी को याद कर रहे हैं। एक तरफ भाजपा के नेता और संवैधानिक पदों पर बैठे लोग इमरजेंसी की याद करके कांग्रेस को निशाना बना रहे हैं तो दूसरी ओर सहयोगी पार्टियां भी इसे याद कर रही हैं। उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 11 मार्च को मेरठ में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि संसद में अभी माइक बंद नहीं होता है। संसद में माइक इमरजेंसी के समय बंद होता था। तब विपक्ष को नहीं बोलने दिया जाता था। इस बीच सरकार की कम से कम दो पुरानी सहयोगी पार्टियों ने इमरजेंसी को याद किया और परोक्ष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधा।
कांग्रेस के सबसे करीबी सहयोगी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बिना किसी संदर्भ के इमरजेंसी का मुद्दा उठाया। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि उनके पिता के करुणानिधि ने इमरजेंसी का विरोध किया था। उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे इमरजेंसी का समर्थन करने को कहा था लेकिन उन्होंने समर्थन नहीं किया। स्टालिन ने बताया कि इंदिरा गांधी की बात नहीं मानने का नतीजा यह हुआ है कि उनके पिता के नेतृत्व वाली डीएमके की सरकार गिरा दी गई। इसी तरह दूसरे करीबी सहयोगी राजद के नेता लालू प्रसाद ने केंद्र सरकार की एजेंसियों की कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने इमरजेंसी झेली है और तब भी पीछे नहीं हटे। उनकी पार्टी और यूपीए में शामिल दूसरी पार्टियां भी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को अघोषित इमरजेंसी बता कर इसका विरोध कर रही हैं।