Thursday

31-07-2025 Vol 19

सिंघवी और कांग्रेस के हितों का टकराव!

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कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी 2018 में तृणमूल कांग्रेस के समर्थन से राज्यसभा सांसद बने। राज्यसभा की पांचवीं सीट के लिए सिंघवी और सीपीएम के राबिन देब के बीच मुकाबला था, जिसमें तृणमूल ने सिंघवी की मदद की थी। सो, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी के तमाम टकराव के बीच सिंघवी की मजबूरी होती है कि वे बैलेंस बनाएं। अगले साल उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और पता नहीं कांग्रेस उनको कहां से राज्यसभा भेज पाएगी। क्योंकि बंगाल में तो अब कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। हो सकता है कि सिंघवी को भी सिब्बल की तरह दूसरा रास्ता लेना पड़े। सिब्बल को कांग्रेस ने कहीं से राज्यसभा नहीं भेजा तो वे समाजवादी पार्टी की मदद से उत्तर प्रदेश से राज्यसभा गए।

बहरहाल, अभिषेक सिंघवी आगे की सोच में कई विपक्षी पार्टियों से तार जोड़े हुए हैं। वे कांग्रेस के प्रवक्ता हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के वकील भी हैं। आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के दौरान उनका हितों का टकराव भी देखने को मिला। कांग्रेस के दो नेताओं, दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने सिसोदिया की गिरफ्तारी का समर्थन किया लेकिन सिंघवी ने इसका विरोध किया। इसके अगले दिन वे सुप्रीम कोर्ट में सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरोध में याचिका की पैरवी कर रहे थे। उन्होंने चीफ जस्टिस की बेंच के सामने इसे मेंशन किया। हालांकि चीफ जस्टिस ने इसे सुनने से इनकार करते हुए हाई कोर्ट जाने की सलाह दी। वे ममता के परिवार से लेकर उद्धव ठाकरे की पार्टी और आम आदमी पार्टी तक की पैरवी सुप्रीम कोर्ट में करते हैं। ध्यान रहे अगले साल उनका राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और अगले साल जनवरी में दिल्ली की तीनों राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं। तीनों सीटें आम आदमी पार्टी को मिलेंगी।

NI Political Desk

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