भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस बात के लिए आलोचना की है कि वे प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। सोचें, जो व्यक्ति राजनीति में है, दशकों से काम कर रहा है, राज्य की राजनीति में शीर्ष पद पर है, सम्मानित है और सबसे बड़ी बात है कि पढ़ा लिखा है, अगर वह प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखता है तो इसमें क्या गलत है? इतना ही नहीं अमित शाह ने नीतीश कुमार को लेकर कहा कि भाजपा ने उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिए कहा था और उनको बना दिया लेकिन वे प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखने लगे। सवाल है कि भाजपा के पास और क्या विकल्प था? सिर्फ भाजपा ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना सकती है, इस मिथक को नीतीश ने दो बार गलत साबित किया है। एक बार राजद के साथ मिल कर भाजपा को हराया था, भाजपा को तीसरे नंबर की पार्टी बनाया और मुख्यमंत्री बने। फिर दोबारा भी भाजपा को छोड़ कर राजद की मदद से मुख्यमंत्री बने।
इसलिए भाजपा नेताओं को यह बात दोहराने की जरूरत नहीं है कि उन्होंने नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया। हकीकत यह है कि बिहार में भाजपा को सत्ता नीतीश की बदौलत मिली। कोई 50 साल पहले भी भारतीय जनसंघ पहली बार बिहार की सत्ता में समाजवादियों के साथ ही आई थी। बहरहाल, अमित शाह के नीतीश पर हमले का कारण राजनीतिक कम और निजी ज्यादा लग रहा है। नीतीश और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कई बार अमित शाह को लेकर निजी हमला किया। यहां तक कहा गया कि अमित शाह दस साल के होंगे या हाफ पैंट पहनते होंगे तब से नीतीश राजनीति कर रहे हैं। यह भी कहा गया शाह जब राजनीति में नहीं आए होंगे तब नीतीश सांसद और केंद्र में मंत्री बने थे। ऐसा लग रहा है कि उसी से आहत शाह ने नीतीश की महत्वाकांक्षा को लेकर उन पर हमला किया।