nayaindia JDU Prashant Kishor जदयू को प्रशांत किशोर की चिंता

जदयू को प्रशांत किशोर की चिंता

ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी को चुनाव रणनीतिकार और अपनी पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की चिंता सता रही है। पार्टी की ओर से राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के ऊपर जो हमला किया गया है वह इसी का नतीजा दिख रहा है। अन्यथा इससे पहले भी हरिवंश अपना स्पष्ट रूझान भाजपा की ओर दिखा रहे थे लेकिन कभी जदयू ने उनको निशाना नहीं बनाया था। असल में प्रशांत किशोर जब से पदयात्रा कर रहे हैं तब से अपनी लगभग हर सभा में इस तरह का संकेत देते हैं कि नीतीश कुमार भाजपा में वापस लौट सकते हैं।

प्रशांत किशोर ने कई जगह कहा है कि नीतीश अब भी भाजपा के संपर्क में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसद और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश के जरिए नीतीश भाजपा के संपर्क में हैं। अब तक लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते थे। लेकिन नए संसद भवन के उद्घाटन में एक तरफ नीतीश कुमार ने विरोध में मोर्चा खोला और इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया तो दूसरी ओर हरिवंश प्रमुखता के साथ मंच पर विराजमान रहे। सबसे पहले उन्होंने ही भाषण किया। उन्होंने राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति का संदेश भी पढ़ा। तभी सोशल मीडिया में यह सवाल उठा कि क्या सचमुच हरिवंश के जरिए नीतीश भाजपा के संपर्क में हैं? इसके बाद नीतीश की पार्टी के लिए जरूरी हो गया कि वह हरिवंश को निशाना बनाए।

असल में इससे नीतीश कुमार के विपक्ष को एकजुट करने के प्रयासों को नुकसान हो रहा था। विपक्षी पार्टियों के मन में संदेह पैदा हो रहा था कि कहीं ऐसा न हो कि मौका देख कर नीतीश वापस लौट जाएं। आखिर वे पहले ऐसा काम कर चुके हैं। इस बार वे ऐसा नहीं करेंगे यह दिखाने के लिए उनकी पार्टी ने हरिवंश के ऊपर तीखा हमला किया। पार्टी के एक जानकार नेता का कहना है कि जून में नीतीश कुमार के बुलावे पर देश भर की विपक्षी पार्टियों के नेता पटना में जुटने वाले हैं। उससे पहले संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में पार्टी के सांसद हरिवंश की सक्रियता से नीतीश की साख सवालों के घेरे में आई थी।

अगर पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक नहीं होने वाली होती तो शायद हरिवंश को निशाना नहीं बनाया जाता। लेकिन विपक्षी पार्टियों को मैसेज देने के लिए जदयू की ओर से हमला हुआ। पार्टी के प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि हरिवंश ने अपनी नैतिकता भाजपा के हाथों बेच दी है। उन्होंने एक तरह से यह साफ किया कि अब वे जदयू से ज्यादा भाजपा के साथ हैं। इसी तरह कुछ दिन पहले जदयू के एक अन्य बड़े नेता आरसीपी सिंह भी भाजपा के करीब हो गए थे और बाद में भाजपा में चले भी गए। पता नहीं हरिवंश क्या करेंगे?

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