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  • भाजपा-जदयू में बड़ा बनने की होड़

    यह कमाल की बात है, जिसे बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन की दोनों बड़ी पार्टियां यानी भाजपा और जदयू के नेता स्वीकार नहीं कर रहे हैं लेकिन यह हकीकत है कि दोनों में बड़ा बनने की होड़ है, जो पहले दिन से शुरू हो गई है। विधायकों की संख्या के लिहाज से भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। उसे जदयू से चार सीटें ज्यादा मिली हैं। इस आंकड़े के आधार पर चुनाव के बाद से यह खबर खूब चली कि भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। इसके बाद यह भी अफवाह यहां वहां फैलाई गई कि भाजपा और जनता दल यू में ढाई-ढाई साल...

  • कोई अनहोनी तो नहीं हुई बिहार में

    अब भविष्य सिर्फ उन शक्तियों का है, जो राजनीति की नई समझ और परिभाषा अपना सकें। जो राजनीति की ऐसी समझ अपना सकें, जिसमें चुनाव लड़ना ही एकमात्र गतिविधि ना हो। जिसमें उद्देश्य आधारित संगठन, संघर्ष, और रचनात्मक कार्यक्रम समान रूप से महत्त्वपूर्ण हों। दरअसल, ऐसी राजनीति जो करेगा, दीर्घकाल में उसके लिए ऐसा जन समर्थन अपने-आप तैयार होगा, जिससे उसे चुनावी सफलता मिले।  किसी राज्य में चुनाव हो, तो इस दौर में वहां मंच सज्जा में कई समान पहलू मौजूद रहते हैं और ऐसा बिहार में भी था। बाकी बातें स्थानीय समीकरणों और परिस्थितियों से तय होती हैं, हालांकि...

  • कितने डिप्टी सीएम होंगे सरकार में?

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे। भले जनता दल यू की सीटों की संख्या भाजपा से कम है या भाजपा ने उनको मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं किया था। लेकिन मुख्यमंत्री वे ही बनेंगे। उस पर कोई सवाल नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि उप मुख्यमंत्री कौन होगा और कितने होंगे? भाजपा की ओर से सम्राट चौधरी का नाम तय बताया जा रहा है। वे उप मुख्यमंत्री के रूप में बेहद प्रभावी रहे और नीतीश कुमार के साथ मिल कर बनाया गया जातीय समीकरण साधने में भी उनकी बड़ी भूमिका रहे। दूसरे, लालू प्रसाद के परिवार से लड़ने के लिए...

  • ‘टाइगर अभी जिंदा है’, बिहार में मतगणना से पहले जदयू कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर

    बिहार विधानसभा चुनाव में मंगलवार को अंतिम चरण के मतदान के बाद सभी लोगों की नजर 14 नवंबर को होने वाली मतगणना पर टिकी है। इससे पहले तमाम एजेंसियों के जारी एग्जिट पोल में फिर से एनडीए सरकार आने की संभावना जताई गई है। एग्जिट पोल में फिर से एनडीए की सरकार बनने की संभावना को लेकर एनडीए के नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह है। अधिकांश एग्जिट पोल में एक बार फिर जदयू के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की संभावना व्यक्त की गई है। इससे जदयू नेताओं में खास उत्साह देखा जा रहा है। इस बीच, पटना...

  • बिहार में कहानी उसी की जो ट्रेंड करना जानता है!

    बिहार को मैं दूर से देख रही हूँ! कुछ वैसे ही जैसे एक ही सूरज ढलते हुए हर बार कुछ अलग लगता है, फिर भी हर बार वैसा ही। रिपोर्टरों की रिपोर्टों से, विश्लेषणों से और बिहार की नब्ज़ पकड़ने का दावा करने वाले सर्वेक्षणों की गणित में लोग अनुमानों, प्रतिशतों में चाहे जितने बंटे है उन सबके बीच भी इस बार वह जीवंतता नहीं दिख रही जो संभवतया बिहार के मिजाज से है। मेरा मानना है कि बिहार एक एक ऐसा राज्य है जो सिनेमा-सा जीवंत है।  चेहरों, बातों, किस्सों और ख्वाबों से हर तरह भरा हुआ। बिहार, जो...

  • बिहार क्या चुनेगा, झूठे वादे या सचाई का संकल्प!

    बिहार के लोगों के लिए अगले पांच साल और उससे भी आगे का भविष्य चुनने का समय आ गया है। चार दिन बाद गुरुवार, छह नवंबर को पहले चरण की 121 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। उससे पहले मुख्य मुकाबले वाले दोनों गठबंधनों का घोषणापत्र सामने आ गया है। एक तरफ है एक व्यक्ति का ‘तेजस्वी प्रण’, जिसे गठबंधन की दूसरी पार्टियों का ही पूरा समर्थन नहीं मिल रहा है तो दूसरी ओर सामूहिक संकल्प है, जिसके पीछे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की दूरदृष्टि और विशाल अनुभव का बल...

  • बिहार में जुमलों की बौछार

    चुनाव के समय वैसे भी जुमले ज्यादा बोले जाते हैं लेकिन उसमें भी बिहार का चुनाव अनोखा हो गया है। पक्ष और विपक्ष दोनों की तरफ से ऐसे ऐसे जुमले बोले जा रहे हैं कि जनता आवाक है। अब तक नरेंद्र मोदी को माना जाता था कि वे ऐसी बात कह सकते हैं, जिसके बारे में किसी ने सोचा नहीं होगा। लेकिन इस बार तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने उनको पीछे छोड़ा है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह इस उधेड़बुन में हैं कि कैसे तेजस्वी और राहुल के जुमलों का जवाब दिया जाए। इस बार के चुनाव में सबसे...

  • बुनियादी रूप से कुछ नहीं बदला

    इस बार ऐसा लग रहा था बिहार में चुनाव वास्तविक मुद्दों पर लड़ा जाएगा। विकास से जुड़े बुनियादी सवाल उठेंगे क्योंकि प्रशांत किशोर ने दो साल की पदयात्रा से लोगों को जागृत किया था। लोगों को ललकारा था कि वे अपने बच्चों के चेहरे देख कर वोट करें। प्रशांत ने मुस्लिम बस्तियों में जाकर उनको ललकारा कि वे भाजपा के भय से राजद और कांग्रेस का बंधुआ बने रहेंगे तो उसी दुर्दशा की हालत में रहेंगे, जिसमें अभी हैं। यादवों को भी ललकारा कि वे कब तक जाति के नाम पर लालू परिवार की गुलामी करेंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन, रोजगार...

  • बिहार ‘जंगल राज’ की ओर नहीं लौटेगा!

    बिहार विधानसभा चुनाव को ‘मदर ऑफ ऑल इलेक्शन’ कहा जाता है। इसका कारण यह है कि सबसे ज्यादा राजनीतिक प्रयोग बिहार में होते हैं। सबसे ज्यादा नारे बिहार में गढ़े जाते हैं और सबसे सघन प्रचार व लोगों की सहभागिता बिहार के चुनाव में होती है। यह संयोग है कि इस बार बिहार का विधानसभा चुनाव लोक आस्था के महापर्व छठ के तुरंत बाद हो रहा है। बिहार आबादी, क्षेत्रफल, जीडीपी या विधानसभा, लोकसभा सीटों की संख्या के किसी भी पैमाने पर देश का सबसे बड़ा राज्य नहीं है। परंतु बिहार विधानसभा का चुनाव पूरे देश की दिलचस्पी का विषय...

  • नीतीश की नाराजगी का बड़ा मैसेज

    बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए के पांचों घटक दलों के नेताओं ने दिल्ली में बैठ कर सीट बंटवारा कर लिया था। सभी नेताओं के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसकी सूचना  साझा कर दी गई थी। इसके मुताबिक भाजपा और जनता दल यू को बराबर 101-101 सीट पर लड़ना था, जबकि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को 29 सीटें मिली थीं। जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को छह-छह सीटें दी गई थीं। इस बंटवारे को लेकर नीतीश, मांझी और कुशवाहा की पार्टी में थोड़ी नाराजगी थी। लेकिन जैसे ही चिराग...

  • नीतीश अब बड़ा भाई नहीं रहे

    नई दिल्ली। बिहार में आधिकारिक रूप से अब नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ने एनडीए में बड़े भाई का ओहदा गंवा दिया है। विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा और जनता दल यू दोनों बराबर सीटों पर लड़ेंगे। कई दिन की माथापच्ची के बाद रविवार की शाम को एनडीए के घटक दलों में सीट बंटवारे का ऐलान हो गया। भाजपा और जनता दल यू अब बराबर के भाई हैं। दोनों 101-101 सीट पर लड़ेंगे। बिना विधायक वाली लोक जनशक्ति पार्टी को 29 सीटें मिली हैं, जबकि जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय  लोक मोर्चा छह-छह सीटों...

  • भाजपा ने बिहार खरीदा, जीत लिया!

    हो सकता है मैं गलत हूं, फिर भी मेरा मानना है बिहार मोदी-शाह की गोद में है। तेजस्वी, राहुल गांधी, प्रशांत किशोर किसी का कोई अर्थ नहीं। इन सबकी याकि विपक्ष की दिक्कत है जो नहीं समझते कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह चौबीस घंटे सत्ता की भूख में जीते हैं। कैसे भी हो सत्ता में रहना है। सोचें, ईस्ट इंडिया कंपनी के बनिया अंग्रेज और मोदी-शाह में क्या समानता है? फूट डालो, राज करो और खरीदो! त्रासद है उस इतिहास को याद कराना। पर तथ्य याद करें कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 में पलासी और 1764 में बक्सर के युद्ध...

  • घुसपैठिया मुद्दे से जदयू सहज नहीं

    बिहार में भारतीय जनता पार्टी अपने आजमाए हुए फॉर्मूले से अलग हटने को राजी नहीं है। उसने विधानसभा चुनाव से पहले घुसपैठिया मुद्दे को हाईलाइट किया है तो मोदी और महिला के साथ साथ मंदिर का मुद्दा भी बनाया है। पिछले कई दिनों से एक के बाद एक मंदिर निर्माण का फैसला राज्य सरकार कर रही है और भाजपा के नेता व उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इसकी घोषणा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने बिहार की अपनी सभाओं में घुसपैठियों पर निशाना साधा और ऐलान किया कि एक एक घुसपैठिए की पहचान...

  • एनडीए में जुड़वां भाई का फॉर्मूला

    महागठबंधन की तरह सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में भी सीटों का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है। वहां भी दोनों बड़ी पार्टियां अपनी सीटें छोड़ने पर राजी हो गई हैं।  पिछली बार नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू 115 सीटों पर लडी थी और भाजपा 110 सीटों पर। इस बार दोनों एक एक सौ सीटों पर लडऩे के लिए राजी हो गए हैं। हालांकि इसके बावजूद समीकरण बैठाना आसान नहीं दिख रहा है क्योंकि चिराग पासवान किसी हाल में 30 से कम सीट पर लड़ने को राजी नहीं हो रहे हैं। वे अपनी पांच लोकसभा सीटों के हिसाब से कम...

  • अगड़ा-पिछड़ा राजनीति का दांव मुश्किल

    बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी सावधानी से अगड़ा और पिछड़ा का दांव खेलने का प्रयास हो रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता अशोक महतो का यह बयान कि, ‘भूराबाल पूरी तरह से साफ कर देना है’, इसी राजनीति का संकेत है। इससे पहले राजद की प्रवक्ता सारिका पासवान और सवर्ण नेता आशुतोष कुमार के बीच हुई जुबानी जंग और मुकदमेबाजी को भी इसी नजरिए से देखने की जरुरत है। उस समय राजद के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से सामाजिक विभाजन बढ़ाने वाली पोस्ट की गई थी। हालांकि राजद के नेता तुरंत संभल गए और अपने कदम पीछे खींच लिए।...

  • बिहार में शह और मात का खेल

    बिहार की तीनों बड़ी पार्टियां राष्ट्रीय जनता दल, भाजपा और जनता दल यू दबाव में हैं क्योंकि उनकी सहयोगी छोटी पार्टियां तेवर दिखा रही हैं। छोटी पार्टियों को पता है कि चुनाव से पहले गठबंधन बचाने की जिम्मेदारी बड़ी पार्टियों की है और बड़ी पार्टियां उनकी बात मान सकती हैं। इसलिए सबने अपनी अपनी मांग बढ़ा दी है। अगर एनडीए की बात करें तो तीन छोटी पार्टियां हैं, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा। इनमें से चिराग पासवान पिछली बार अकेले लड़े थे और कुशवाहा...

  • भाजपा, जदयू के बड़े नेता चुनाव नहीं लड़ेंगे

    बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। समय नजदीक आता जा रहा है। यह अलग बात है कि अभी तक बिहार में वैध मतदाता सूची नहीं है। चुनाव आयोग 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करेगा और उसके बाद चुनाव की घोषणा होगी। पार्टियों में सीट बंटवारे की भी बातचीत नहीं हुई है और जो भी होगा वह 22 सितंबर से नवरात्र शुरू होने के बाद ही होगा। इस बीच मतदाता सूची से लेकर सीट बंटवारे तक अनेक कहानियां चल रही हैं। इसमें एक कहानी यह है कि एनडीए की दो बड़ी पार्टियों यानी भाजपा और जनता...

  • मोदी को गाली और विपक्ष की जिद

    बिहार के दरभंगा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मां की गाली दिए जाने की घटना बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाने का जितना श्रेय खुद प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी को है उतना ही श्रेय विपक्षी पार्टियों को भी जाता है। कांग्रेस के साथ साथ राजद के नेता अति उत्साह में इसे बड़ा मुद्दा बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। विपक्ष इस मामले में एक के बाद एक बड़ी गलतियां कर रहा है और भाजपा के बिछाए जाल में उलझता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी पार्टी और उनके इकोसिस्टम ने इस घटना के...

  • जदयू बड़ा भाई रह पाएगी या नहीं?

    बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ब्लॉक, जिसे बिहार में महागठबंधन कहते हैं, दोनों में सीट शेयरिंग पर चर्चा हो रही है। एनडीए में मामला ज्यादा उलझा हुआ लग रहा है। बिहार में एनडीए की कमान हमेशा जनता दल यू के हाथ में रही है। एक समय तो ऐसा भी रहा है, जब नीतीश कुमार ही भाजपा की राजनीति भी संभालते थे। लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। नीतीश कुमार जब अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे तब लोकसभा और विधानसभा दोनों में ज्यादा सीटों पर लड़ते थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी जनता दल...

  • विपक्ष की गारंटी नीतीश पूरी कर रहे हैं

    विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की नीतीश कुमार सरकार एक के बाद एक लोक लुभावन घोषणाएं करती जा रही है। ऐसी घोषणाएं हो रही हैं, जिनका पहले नीतीश खुद विरोध करते रहे हैं। उनकी सरकार ने 125 यूनिट बिजली फ्री करने का ऐलान किया है। इसे अगस्त से ही लागू कर दिया जाएगा यानी जुलाई का जो बिल लोगों को मिलेगा, उसमें 125 यूनिट बिजली माफ होगी। माना जा रहा है कि डेढ़ करोड़ से ज्यादा परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। कुछ दिन पहले एक सौ यूनिट बिजली फ्री करने का प्रस्ताव आया था तो नीतीश कुमार ने इसका विरोध...

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