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जाति के साथ जारी हुई मंत्रियों की सूची

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में जब अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था तब उन्होंने संसद में मंत्रियों का परिचय कराते हुए बताया था कि उनकी सरकार में कितने ओबीसी मंत्री हैं, कितने एससी और कितने एसटी समुदाय के मंत्री हैं। तब इसकी बड़ी आलोचना हुई थी। उससे पहले भी भाजपा यह काम कर चुकी है। कुछ समय पहले उसने भाजपा के पदाधिकारियों की सूची जारी की थी तब यह बताया गया था कि कौन सा पदाधिकारी किस राज्य का है और उसके साथ ही उसकी जाति भी बताई गई थी। कांग्रेस ने अब वही काम किया है। कांग्रेस ने कर्नाटक के मंत्रियों की सूची जारी की तो उसमें उनके नाम के आगे उनकी जाति भी लिखी हुई थी।

प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों के बारे में सिर्फ इतना बताया था कि कौन ओबीसी है और कौन एससी है। लेकिन कांग्रेस की सूची में ओबीसी मंत्री की जाति भी लिखी गई थी। जो पिछड़ी जाति के मंत्री बने हैं उनके नाम के आगे उनकी जाति लिखी हुई थी और कोष्ठक में बीसी यानी बैकवर्ड कास्ट लिखा हुआ था। इसी तरह अनुसूचित जाति के सामने एससी और अनुसूचित जनजाति के सामने एसटी लिखा हुआ था। लिंगायत और वोक्कालिगा तो लिखा ही गया था क्योंकि राज्य की राजनीति लंबे समय इन दो समुदायों के ईर्द गिर्द घूमती रहती है। मुस्लिम और ईसाई का भी जिक्र मंत्रियों के नाम के आगे था और इकलौते ब्राह्मण मंत्री के आगे भी उसकी जाति लिखी हुई थी। सोचें जो देश का आईटी हब है और जहां एशिया का सिलिकॉन वैली स्थित है वहां जाति इतनी अहम है तो उत्तर भारत के राज्यों में क्या होगा!

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