भारत राष्ट्र समिति के नेता के चंद्रशेखर राव अभी तक कांग्रेस से लड़ते दिख रहे हैं। लेकिन उनको कांग्रेस की चिंता भी सता रही है। केसीआर को पता है कि अगर कांग्रेस तेलंगाना में ज्यादा जोर लगा कर लड़ेगी तो उसका फायदा भाजपा को होगा। कांग्रेस भी इस बात को समझ रही है इसलिए केसीआर पर दबाव बनाए रखने के लिए वह तेलंगाना में रैलियां और कार्यक्रम कर रही है। भाजपा को रोकने की मजबूरी में दोनों पार्टियां तालमेल करेंगी या नहीं, यह बाद की बात है लेकिन अब केसीआर की ओर से सद्भाव दिखाने की शुरुआत हो गई है। दिल्ली में उनकी बेटी के कविता ने कांग्रेस को जिद छोड़ने और गठबंधन में शामिल होने को कहा।
कविता ने जब कांग्रेस को गठबंधन में शामिल होने के लिए कहा तो वे लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की बात नहीं कर रही थीं। उनके कहने का मतलब तेलंगाना के चुनाव में साथ आने का था। ध्यान रहे तेलंगाना में कांग्रेस की अच्छी प्रेजेंस है और एक बड़े इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम का असर है। इस तरह भारत राष्ट्र समिति, कांग्रेस और एमआईएम तीन पार्टियां एक वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी चुनाव का ध्रुवीकरण कराने की राजनीति कर रही है। अगर एक वोट बैंक तीन पार्टियों में बंटता है तो भाजपा को फायदा होगा। केसीआर नहीं चाहते हैं कि विधानसभा त्रिशंकु बने। सो, कांग्रेस से सद्भाव दिखाने की शुरुआत हुई है। उनकी बेटी के कविता ने 10 मार्च को दिल्ली के जंतर मंतर पर एक दिन की भूख हड़ताल की और सोनिया गांधी की जम कर तारीफ की। उन्होंने सोनिया का आभार जताया कि उनके प्रयास से महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से पास हो सका था। उनकी ओर से हुई इस पहल के बाद कुछ दिलचस्प बदलाव देखने को मिल सकते हैं।