राहुल गांधी ने जब से केसी वेणुगोपाल यानी केसीवी को कांग्रेस का संगठन महासचिव बनाया तब से उनकी योग्यता और उपयोगिता दोनों पर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन एक असली सर्वाइवर की तरह वे कई बरसों से इस पद पर बने हुए हैं और अब उन्होंने अपना कद और अपनी भूमिका बना ली है। उनके प्रति राहुल का विश्वास बना हुआ है। राहुल ने पद के मुताबिक उनकी भूमिका बनवाई है। इसी का नतीजा है कि कांग्रेस का कोई भी बड़ा फैसला उनके बगैर नहीं हो रहा है। पहले भी उनको हर फैसले में शामिल किया जाता था लेकिन अब कहा जा रहा है कि वे स्वतंत्र रूप से अपनी भूमिका निभा रहे हैं। हाल के दो घटनाक्रम में उनकी बेहद सक्रिय भूमिका देखने को मिली।
कर्नाटक में कांग्रेस का मुख्यमंत्री तय करने में वैसे तो मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी दोनों सक्रिय थे और बाद में सोनिया गांधी को भी दखल देना पड़ा। लेकिन दिल्ली में चली तीन दिन की कवायद में प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला के साथ केसीवी भी शामिल रहे। अंतिम फैसला उनके आवास पर हुआ, जहां उनके साथ एक टेबल पर खाना खाते हुए सिद्धरमैया, डीके शिवकुमार और सुरजेवाला की फोटो कांग्रेस ने जारी की। इसी तरह मंत्रियों के नाम और विभाग तय कराने में भी वे सक्रिय रहे। दूसरा घटनाक्रम राजस्थान का रहा, जिसके बारे में यह नहीं कहा जा सकता है कि मामला सुलझ गया लेकिन अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ खड़गे और राहुल की बैठक में केसीवी मौजूद रहे और उन्होंने तात्कालिक युद्धविराम कराने में एक भूमिका निभाई। वे पहले भी राजस्थान संकट के साथ सक्रिय रहे थे। तभी कहा जा रहा है कि खड़गे की टीम में भी उनकी अहम भूमिका बनी रहेगी। अगर प्रियंक गांधी वाड्रा को संगठन महासचिव नहीं बनना है तो हो सकता है कि केसीवी अपनी मौजूदा भूमिका में बने रहें।