यह लाख टके का सवाल है कि क्या डीके शिवकुमार अब लोकसभा चुनाव में वैसी ही मेहनत करेंगे, जैसी उन्होंने विधानसभा चुनाव में की है? अपने तमाम प्रयास के बावजूद वे मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं। उनको सिद्धरमैया के उप मुख्यमंत्री के तौर पर काम करना होगी। तभी यह सवाल उठा है कि क्या वे पार्टी को लोकसभा में चुनाव जिताने के लिए जी-जान से मेहनत करेंगे? साथ ही यह भी सवाल है कि क्या वे तेलंगाना में कांग्रेस को चुनाव लड़ाने अपने को झोंकेंगे? ध्यान रहे तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी उनके करीबी हैं और कहा जा रहा था कि अगर शिवकुमार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेंगे तो वे तेलंगाना में कांग्रेस को पूरा दम लगा कर चुनाव लड़ाएंगे।
बहरहाल, डीके शिवकुमार जब दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की लॉबिंग कर रहे थे तो उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी दोनों से कहा था कि वे लोकसभा में कांग्रेस को 20 से 22 सीटें जीता सकते हैं। यह बहुत बड़ा वादा था क्योंकि कर्नाटक में लोकसभा चुनाव का समीकरण विधानसभा से अलग होता है। इसके बावजूद शिवकुमार के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता है। आखिर उन्होंने चुनाव शुरू होने के समय से 130 सीट जीतने का दावा किया था और कांग्रेस 135 सीट जीती। कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार लोकसभा चुनाव में भी पूरी मेहनत करेंगे क्योंकि उनको कहा गया है कि उसके बाद कभी भी उनको राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव तक उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखा जाएगा। अगर लोकसभा में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता है तो उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना पर भी असर होगा। इसलिए वे मेहनत करेंगे। ध्यान रहे पिछले लोकसभा चुनाव के समय वे प्रदेश अध्यक्ष नहीं थे और न राज्य के उप मुख्यमंत्री थे। मुख्यमंत्री जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी थे, जिनसे उनकी बनती नहीं थी। इस बार उप मुख्यमंत्री होने के बावजूद कमान उनके हाथ में रहेगी।