Monday

16-06-2025 Vol 19

चुनाव आयोग के सामने उद्धव की मजबूरी

1077 Views

शिव सेना का मामला चुनाव आयोग में अटका हुआ है। करीब आठ महीने से यह मामला विवाद में है कि असली शिव सेना कौन है। चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट को अस्थायी तौर पर नए नाम और नया चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया है ताकि वे चुनाव लड़ सकें। लेकिन उनके विवाद का निपटारा नहीं हुआ है। इतना ही नहीं शिव सेना के विवाद का मामला अदालत में भी नहीं सुलझा है। उद्धव ठाकरे गुट को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का फैसला हो जाएगा। ध्यान रहे ये 16 विधायक वो हैं, जिनको पहले नोटिस जारी किया गया था। पर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला लंबित है।

चुनाव आयोग में दोनों गुटों की मौखिक दलीलें हो गई हैं। दोनों पक्षों ने हजारों पन्नों के दस्तावेज आयोग के सामने जमा किए हैं और दोनों के वकीलों ने मौखिक दलील दी है। आयोग ने लिखित जवाब दाखिल करने के लिए 23 जनवरी की अंतिम तारीख तय की है। उसके बाद ही आयोग अपने फैसले पर विचार शुरू करेगा। वैसे आयोग से किसी तरह की उम्मीद उद्धव ठाकरे को नहीं होगी। उनकी पार्टी मान कर चल रही है कि फैसला उनके पक्ष में नहीं आएगा। लेकिन जब तक फैसला नहीं आता है तब तक पार्टी का चुनाव रूका हुआ है और शिव सेना के अध्यक्ष के तौर पर उद्धव ठाकरे का कार्यकाल 23 जनवरी को समाप्त हो जाएगा। पार्टी का अधिवेशन करा कर नया अध्यक्ष चुनने की अनुमति शिव सेना ने मांगी थी, जो अभी तक नहीं मिली है। सो, उद्धव की मजबूरी है कि वे बिना चुनाव के ही अध्यक्ष रहें। पार्टी का कहना है कि उद्धव अध्यक्ष बने रहेंगे, लेकिन सबको पता है कि उनकी अध्यक्षता की कोई कानूनी वैधता नहीं होगी।

NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *