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विपक्षी मोर्चा के संयोजक होंगे नीतीश!

अगर देश भर की विपक्षी पार्टियों का मोर्चा बनता है, जिसकी कोशिश बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं और उनके साथ साथ कुछ और नेता इस आइडिया को आगे बढ़ा रहे हैं तो उसकी कमान किसके हाथ में रहेगी? विपक्षी पार्टियां अभी इस बारे में बात नहीं कर रही हैं। उनका कहना है कि एक बार गठबंधन बन जाए तो यह भी तय कर लेंगे कि उसका नेता कौन होगा। सबको पता है कि विपक्ष का नेता कौन होगा यह तय करना आसान नहीं है। लेकिन विपक्षी गठबंधन का संयोजक या समन्वयक तय करना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा।

बिहार के जनता दल यू और राजद नेताओं का कहना है कि गठबंधन का नेता चुनने का मतलब यह है कि अगर लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन जीते तो प्रधानमंत्री कौन होगा पर संयोजक या समन्वयक का मतलब है कि चुनाव तक सभी पार्टियों को साथ लाने और उनके बीच सीटों का तालमेल कराने वाला व्यक्ति। जरूरी नहीं है कि वह व्यक्ति गठबंधन का नेता या प्रधानमंत्री पद का दावेदार हो। नीतीश कुमार वह व्यक्ति हो सकते हैं। ध्यान रहे पहले जब भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए बना था तब लंबे समय तक किसी न किसी प्रादेशिक पार्टी का नेता ही उसका संयोजक होता था। जॉर्ज फर्नांडीस से लेकर चंद्रबाबू नायडू और शरद यादव तक संयोजक रहे लेकिन इनमें से कोई न कोई प्रधानमंत्री का दावेदार था और न प्रधानमंत्री बना।

सवाल है कि क्या नीतीश कुमार उसी तरह की भूमिका अपने लिए चाहते हैं? बताया जा रहा है कि नीतीश अभी अनौपचारिक रूप से और विशुद्ध रूप से अपनी पहल पर विपक्षी पार्टियों को साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं। अगर इस प्रयास को औपचारिक रूप दिया जाता है यानी मोर्चा बन जाता है तो एक कोऑर्डिनेटर की जरूरत होगी। क्योंकि उसके बाद सभी नेताओं के सात तालमेल करना, भाजपा के साथ वन ऑन वन इलेक्शन बनाने के लिए सीटों की एडजस्टमेंट के बारे में बातचीत करना और साझा न्यूनतम कार्यक्रम तय करने के लिए एक सिस्टम चाहिए होगा। वह सिस्टम नीतीश के नेतृत्व में बन सकता है।

बताया जा रहा है कि सभी विपक्षी नेताओं के साथ एक दौर की वार्ता के बाद बिहार में सबको इकट्ठा किया जाएगा। देश की तमाम भाजपा विरोधी पार्टियों की बैठक बिहार में होगी। उस बैठक में नीतीश कुमार को विपक्षी मोर्चा का कोऑर्डिनेटर बनाया जा सकता है। पद का नाम कोऑर्डिनेटर यानी समन्वयक या कन्वेनर यानी संयोजक में से कुछ हो सकता है। नीतीश की पार्टी जनता दल यू के नेताओं को उम्मीद है कि उनको विपक्षी मोर्चा की कमान मिलने से नीतीश का कद बढ़ेगा और वे सर्वमान्य राष्ट्रीय नेता माने जाएंगे। पार्टी को कई राज्यों में इसका फायदा मिलेगा। बिहार के साथ साथ झारखंड में भी जदयू को अपनी ताकत बढ़ानी है। अगर नीतीश को राष्ट्रीय नेता माना जाता है तो बिहार के बाहर पार्टी की पहचान मजबूत होगी। चुनावी लाभ भी हो सकता है।

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By NI Political Desk

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