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अब राज्यपालों का बहिष्कार शुरू

राज्यपाल का पद बेहद सम्मान और गरिमा वाला माना जाता है। अंग्रेज के जमाने से लाट साहेब का कल्चर इस पद के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन पिछले कुछ सालों में राज्यपालों की गरिमा लगातार घटती जा रही है और राजभवन पहले जैसे पवित्र नहीं रह गए हैं। पहले जो घटनाएं अपवाद के तौर पर होती थीं अब आए दिन होती है। इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर कई राज्यों में सत्तारूढ़ या विपक्षी पार्टियों ने राजभवन का न्योता ठुकरा दिया। राजभवन में होने वाले गणतंत्र दिवस के पारंपरिक आयोजन में पार्टियां नहीं गईं। तमिलनाडु से लेकर पश्चिम बंगाल और तेलंगाना तक ऐसी घटना हुई। यह भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

सबसे हैरानी का मामला पश्चिम बंगाल का है, जहां भाजपा ने राज्यपाल के कार्यक्रम का बहिष्कार किया। सोचें, भाजपा की केंद्र सरकार ने ही सीवी आंनदा बोस को राज्यपाल नियुक्त किया है। लेकिन भाजपा उनका बहिष्कार कर रही है। भाजपा के एक नेता ने तो उनको मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जेरोक्स कॉपी बताया। भाजपा के नेता इसलिए नाराज हैं क्योंकि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के प्रति सद्भाव दिखाया है। उन्होंने बच्चों को मातृभाषा की शिक्षा देने की शुरुआत करने का एक कार्यक्रम गणतंत्र दिवस के दिन राजभवन में रखा तो ममता बनर्जी भी उसमें शामिल हुईं। इसी वजह से भाजपा विधायक दल के नेता शुभेंदु अधिकारी और प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन के साथ काफी समय से टकराव चल रहा है। उन्होंने भी 26 जनवरी को राज्यपाल के कार्यक्रम का बहिष्कार किया। वे राजभवन में होने वाले आधिकारिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उलटे उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वे तेलंगाना का राज्यपाल बनने से पहले तमिलनाडु में भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष थीं और उसी अंदाज में राज्यपाल के तौर पर भी काम कर रही हैं। पहले भी सक्रिय राजनीति में रहने वाले लोग राज्यपाल बनाए जाते थे और इस तरह की बातें शायद ही कभी सुनने को मिलती थीं।

उधर तमिलनाडु में राज्यपाल आरएन रवि से पूरे सत्तारूढ़ गठबंधन का टकराव चल रहा है। इसके बावजूद गठबंध का नेतृत्व कर रही डीएमके के नेता गणतंत्र दिवस पर राजभवन के कार्यक्रम में शामिल हुए लेकिन वीसीके और कुछ अन्य पार्टियों ने राज्यपाल के न्योते को ठुकरा दिया। दिल्ली की कहानी और कमाल की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक दिन सभी विधायकों को लेकर राज्यपाल से मिलने पहुंच गए। तब राज्यपाल उनसे नहीं मिले। उसके बाद राज्यपाल ने उनको शुक्रवार को अपने 10 विधायकों के साथ मिलने का न्योता दिया तो केजरीवाल ने कह दिया कि वे पंजाब जा रहे हैं इसलिए मिलने नहीं आ सकते। दोनों तरफ से इसे लेकर खींचतान चल रही है।

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By NI Political Desk

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