राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दो साल की सजा होने और उसके बाद सदस्यता छीन लिए जाने के मसले पर कांग्रेस पार्टी अदालत में जाने की जल्दी में नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि अगर सदस्यता नही गई होती तो उसे बचाने की चिंता में पार्टी जल्दी से अदालत जाती। लेकिन अब सदस्यता समाप्त हो गई है तो जल्दबाजी का कोई मतलब नहीं है। अभी कांग्रेस के पास 22 अप्रैल तक का समय है। उससे पहले अपील कर दी जाएगी और राहुल गांधी को राहत मिल जाएगी। अभी पार्टी सिर्फ इतनी राहत चाहती है कि उनको जेल नहीं जाना पड़े। बाकी सदस्यता बहाल कराने और बंगला बचाने की चिंता कांग्रेस को नहीं है।
यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी सूरत की अदालत के फैसले पर सभी पहलुओं से विचार कर रही है और यह रणनीति तय की जा रही है कि ऊपर की अदालत में क्या मुद्दा उठाया जाए? सूरत की अदालत के फैसले के खिलाफ तत्काल हाई कोर्ट नहीं जाने के पीछे एक दलील यह दी जा रही है कि अदालत ने 168 पेज का फैसला गुजराती में लिखा है, जिसे अंग्रेजी में अनुवाद किया जा रहा है। हालांकि अगर कांग्रेस चाहती तो फैसले के ऑपरेटिंग पार्ट का अनुवाद करा कर अदालत में अपील कर सकती थी और तत्काल राहत हासिल कर सकती थी। लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया तो उसकी वजह ये है कि पार्टी इस मामले में राहुल को विक्टिम की तरह पेश करके सहानुभूति हासिल करना चाहती है। साथ ही इस नैरेटिव को भी मजबूत करना चाहती है कि राहुल ने अदानी का मुद्दा उठाया तो प्रधानमंत्री ने अदानी को बचाने के लिए राहुल की सदस्यता समाप्त करा दी।