nayaindia Uddhav Thackeray Shiv Sena उद्धव का नियंत्रण क्यों नहीं बन पा रहा?
रियल पालिटिक्स

उद्धव का नियंत्रण क्यों नहीं बन पा रहा?

ByNI Editorial,
Share

शिव सेना में विभाजन के नौ दस महीने हो गए और अभी तक ऐसा लग रहा है कि गुबार शांत नहीं हुआ है। यह माना जा रहा था कि एक झटके में जो नेता उद्धव ठाकरे को छोड़ कर गए हैं उसके बाद पार्टी में और विभाजन नहीं होगा।

यह भी कहा जा रहा था कि जल्दी ही नेताओं की घर वापसी होने लगेगी। यानी जो नेता उद्धव को छोड़ कर गए हैं वे वापस लौट आएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। एक भी बड़ा नेता या विधायक वापस नहीं लौटा है और अब वापसी की संभावना भी नहीं दिख रही है क्योंकि भले इससे जुड़ा मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है लेकिन तकनीकी रूप से अब एकनाथ शिंदे के नियंत्रण वाली पार्टी ही असली शिव सेना है। अगर कोई विधायक उसे छोड़ कर उद्धव ठाकरे गुट में लौटता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है।

सो, वापसी नहीं हो रही है, उलटे अब भी नेता उद्धव का साथ छोड़ कर जा रहे हैं। सवाल है कि अगर शिव सैनिक उद्धव ठाकरे को असली मान रहे हैं और यह माना जा रहा है कि बाल ठाकरे की विरासत उनके पास ही रहेगी और चुनाव में शिंदे गुट साफ हो जाएगा फिर भी उद्धव के करीबी नेता क्यों पार्टी छोड़ रहे हैं?

उद्धव के सबसे करीबी नेताओं में से एक सुभाष देसाई के बेटे भूषण देसाई ने पिछले दिनों शिंदे गुट ज्वाइन कर लिया। उससे पहले देवेंद्र फड़नवीस सरकार में मंत्री रहे शिव सेना नेता दीपक सावंत भी पार्टी छोड़ कर चले गए और शिंदे गुट में शामिल हो गए। इन दोनों घटनाओं का धारणा बनाने में बड़ा असर होगा। माना जा रहा है कि भाजपा की वजह से उद्धव गुट के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेताओं ने उनको भरोसा दिया है कि भाजपा के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

Naya India स्क्रॉल करें