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ममता क्यों नहीं आईं दिल्ली?

ByNI Political,
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तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 29 मार्च को दिल्ली आना था। वे 29 और 30 मार्च को दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली थीं। लेकिन वे दिल्ली नहीं आईं। दिल्ली की बजाय उन्होंने कोलकाता में दो दिन का प्रदर्शन किया। ममता का प्रदर्शन उनके ट्रेडमार्क तरीके से बेहद नाटकीय था। वे मंच पर एक वाशिंग मशीन लेकर बैठी थीं, जिसमें उन्होंने काला कपड़ा डाला और सफेद कपड़ा निकाल कर दिखाया कि इसी तरह से भाजपा काम करती है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा में जाते ही सारे अपराधी और आरोपी धुल कर सफेद हो जाते हैं।

सवाल है कि ममता बनर्जी का दिल्ली का कार्यक्रम क्यों रद्द हुआ? तृणमूल कांग्रेस के नेता आधिकारिक रूप से इसका जवाब नहीं दे रहे हैं लेकिन अनौपचारिक बातचीत में वे मान रहे है कि मानहानि के मामले में राहुल गांधी को सूरत की अदालत से दो साल की सजा होने और उसके बाद उनकी सदस्यता समाप्त होने से सारी कहानी बदल गई। ममता को लगा कि अभी दिल्ली में प्रदर्शन करना और गैर कांग्रेस मोर्चा बनाने की बात करना उपयुक्त नहीं होगा। क्योंकि इस समय पूरा फोकस कांग्रेस और राहुल गांधी पर है। तभी उनकी पार्टी के नेता भी संसद में विपक्ष की बैठकों में शामिल होने लगे।

राहुल गांधी को सजा होने और राजनीति की दिशा बदलने से पहले ममता बनर्जी बहुत आक्रामक तरीके से विपक्षी एकता के प्रयास कर रही थीं। उन्होंने गैर भाजपा और गैर कांग्रेस मोर्चा बनाने की घोषणा कर रखी थी। अपनी इस योजना के तहत वे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिली थीं। उसके बाद वे ओड़िशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक से मिलने भुवनेश्वर गईं। उस बीच वे जेडीएस के नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से मिली थीं। दिल्ली आकर वे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मिलने वाली थीं।

लेकिन जब वे भुवनेश्वर में थीं उसी समय खेल बदल गया। वे 23 मार्च को नवीन पटनायक से मिलीं और उसी दिन राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता समाप्त की गई। बताया जा रहा है कि तभी ममता बनर्जी ने दिल्ली आकर प्रदर्शन करने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया। उनकी पार्टी ने रणनीति बदल दी। उन्होंने कोलकाता में पार्टी के प्रदर्शन के दौरान विपक्षी एकता की बात कही तो उसमें से कांग्रेस को अलग नहीं किया। कांग्रेस को लेकर भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने की बात कही। उनके बाद उनके सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी सभी विपक्षी पार्टियों से अपील करते हुए कहा कि सबको मिल कर चुनाव लड़ना चाहिए। सो, राहुल गांधी मामले का असर यह हुआ कि ममता ने दिल्ली का कार्यक्रम रद्द किया और भाजपा की तरह ही कांग्रेस से भी दूरी रखने की रणनीति भी छोड़ दी।

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