किरेन रिजीजू से कानून मंत्रालय क्यों ले लिया गया? क्या प्रधानमंत्री न्यायपालिका से उनके टकराव को लेकर नाराज थे और न्यायपालिका के साथ सद्भाव बनाने के लिए रिजीजू को वहां से हटाया गया है? यह संभव है क्योंकि इस तरह से अचानक एक मंत्री का विभाग बदलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तरीका नहीं रहा है। उन्होंने रिजीजू को हटा कर अर्थ साइंस विभाग का मंत्री बनाया है और उनकी जगह राजस्थान के अर्जुन राम मेघवाल को स्वतंत्र प्रभार का कानून मंत्री बनाया है इससे लग रहा है कि प्रधानमंत्री न्यायपालिका से टकराव को चलते रहने देने के पक्ष में नहीं हैं। ध्यान रहे पिछले कुछ दिनों में किरेन रिजीजू ने कॉलेजियम से लेकर जजों के कामकाज के तरीकों पर कई गंभीर टिप्पणियां की हैं।
उन्होंने जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम को भारतीय संविधान के लिए एलियन यानी सर्वथा अपरिचित चीज कहा था कि और इसमें केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने की जरूरत बताई थी। इसी तरह जजों की नियुक्ति में देरी होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और कहा था कि सरकार उसे ऐसा कोई स्टैंड लेने के लिए मजबूर न करे, जिससे परेशानी हो तो रिजीजू ने जवाब देते हुए कहा कि यहां कोई भी किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। पिछले दिनों ‘इंडिया टुडे’ समूह के एक कार्यक्रम में तो वे इतना आगे बढ़ गए कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि कुछ रिटायर जज भारत विरोधी गैंग का हिस्सा बन गए हैं और इनकी कोशिश होती है कि भारतीय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए। रिजीजू को वहां से हटा कर जिस मंत्रालय में भेजा गया है उससे भी अंदाजा लग रहा है कि उनके बारे में अभी धारणा अच्छी नहीं है। हालांकि आगे कुछ भी हो सकता है। उनके गृह प्रदेश में अगले साल लोकसभा के साथ ही चुनाव है।