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जंतर मंतर पर रामलीला मैदान की कहानी!

ठीक 12 साल पहले दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव का काले धन को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा था। चार जून 2011 की आधी रात को दिल्ली पुलिस ने पिंडारियों के गिरोह की तरह रामलीला मैदान पर हमला बोला था और आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसाई थीं। रामदेव को महिलाओं के कपड़े पहन कर भागना पड़ा था। पुलिस कार्रवाई के बाद की रामलीला मैदान की तस्वीर हृदय विदारक थी। चारों तरफ लोगों के जूते-चप्पल, कपड़े, बैग्स बिखरे पड़े थे और पूरा पंडाल टूटा पड़ा था।

उस घटना के 12 साल पूरे होने से छह दिन पहले 28 मई 2023 को जंतर मंतर पर जो कुछ हुआ क्या वह इतिहास दोहराने जैसा है? जंतर मंतर से पहलवानों को हिरासत में लेना, उन्हें सड़कों पर घसीटना और उनके टेंट, गद्दे आदि हटा कर जबरदस्ती धरना खत्म कराना क्या केंद्र की एनडीए सरकार का रामदेव मोमेंट है? ध्यान रहे रामदेव भी पहलवानों का समर्थन कर रहे हैं और उन्होंने महिला पहलवानों का यौन शोषण करने के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग की है। इसी मांग को लेकर पहलवान एक महीने से ज्यादा समय से जंतर मंतर पर धरना दे रहे थे।

दोनों घटनाओं में कई समानताएं हैं। रामदेव ने रामलीला मैदान का आंदोलन अन्ना हजारे के जंतर मंतर पर हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की सफलता से प्रभावित होकर काले धन के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया था। इसी तरह पहलवानों ने अपना आंदोलन एक साल चले किसान आंदोलन की सफलता से प्रभावित होकर किया था। किसान आंदोलन की सफलता ने उनको हौसला दिया था कि वे हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसानों और खाप पंचायतों की मदद से भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई करवा लेंगे। लेकिन कोई भी सरकार इतनी आसानी से आंदोलनकारियों की बात नहीं मानती है।

कांग्रेस ने रामदेव का आंदोलन खत्म करा दिया था तो भाजपा ने एक साल आंदोलन चलने के बाद किसानों की बात मानी थी। पहलवानों के आंदोलन के तो अभी एक महीने हुए थे। अब सवाल है कि पहलवान फिर आंदोलन शुरू करेंगे या रामदेव की तरह चुपचाप बैठ जाएंगे और इंतजार करेंगे कि लोग सरकार को सजा दें? अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाले पहलवानों को भाजपा एक खास जाति, एक खास परिवार या एक खास खाप का मान कर तवज्जो नहीं दे रही है। जिस तरह से किसान आंदोलन को साजिश बताया गया था उसी तरह पहलवानों के प्रदर्शन को भी साजिश करार दिया जा रहा है। लेकिन महिला पहलवानों के जो आरोप हैं, वो पूरे देश की महिलाओं और आम लोगों के परेशान करने वाले हैं और उसके बाद जंतर मंतर पर जो हुआ है उसकी तस्वीर देश भर के लोगों को विचलित करने वाली है। सो, इसके दूरगामी असर से इनकार नहीं किया जा सकता।

By NI Political Desk

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