ब्रिक्सः नए विश्व ढांचे की पहली झलक
कुल कहानी यह है कि जिन देशों के पास उत्पादक क्षमता और स्वतंत्र विकास की आकांक्षा है, उन्होंने एक नई राह चुन ली है। कई सौ साल से पश्चिमी उपनिवेशवाद और फिर साम्राज्यवाद से पीड़ित इन देशों ने महसूस किया है कि अब उनके पास वह क्रिटिकल मास (निर्णायक क्षमता) है, जिसके बदौलत वे पुराने वर्चस्व से निकल सकते हैँ। मुक्त होने की ये जद्दोजहद भी कम से कम ढाई सौ साल पुरानी है। लेकिन अब यह आज की वस्तुगत परिस्थितियों के अनुरूप एक नए मुकाम पर पहुंची है। दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग शहर में नई उभर रही विश्व व्यवस्था...