ऋण का बोझ घटा?
असल कहानी मीडिया हेडलाइन्स के नीचे कहीं छिपी होती है। ताजा रिपोर्ट को ही लें, तो उससे यह कहानी भी उभरती है कि फ़ौरी उपभोग के मकसद से लिए गए ऋण की मात्रा असल में बढ़ी है। vv मीडिया के एक हिस्से ने इसी रिपोर्ट से हेडलाइन निकाली है कि भारत में घरेलू कर्ज की मात्रा जून 2024 की तुलना में पिछले दिसंबर तक आकर एक प्रतिशत प्रतिशत घट गई। जून 2024 में घरेलू ऋण जीडीपी की तुलना में 42.9 प्रतिशत था। दिसंबर 2024 में 41.9 फीसदी रहा। हालांकि दिसंबर 2023 (40 प्रतिशत) और जून 2021 (36.6 प्रतिशत) की तुलना...