Governors

  • राज्यपालों की भूमिका पर विचार जरूरी

    इन दिनों राजनीति में इस्तेमाल किए जा रहे मुहावरे के हिसाब से कहें तो आजादी के 75 साल में ऐसा कभी नहीं हुआ कि राज्यपालों के ऊपर सर्वोच्च अदालत को इतनी सख्त टिप्पणियां करनी पड़े, जितनी अभी करनी पड़ रही है। आजादी के बाद कई बार राज्यपालों की भूमिका पर सवाल उठे हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि सांस्थायिक रूप से राज्यपाल राज्य सरकारों के कामकाज में दखल दें, विधेयक रोकें, सरकारों पर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी करें और समानांतर सरकार चलाने की कोशिश करें। राज्यपालों के ऐसे आचरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई बार बेहद तीखी टिप्पणियां की...

  • क्योंकि सवाल राजनीतिक है

    जो समस्या पैदा हुई है, उसका कारण संविधान की अस्पष्टता नहीं है। अगर केंद्र में सत्ताधारी पार्टी सर्वसत्तावादी महत्त्वाकांक्षाएं पाल ले, तो वे तमाम संवैधानिक प्रावधान महज कागज पर लिखी लकीर बन जाते हैं, जिनका मकसद व्यवस्था को नियंत्रित और संतुलित रखना है। विधेयकों को मंजूरी देने के मामले में राज्यपालों की अपेक्षित भूमिका के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, उससे व्यवहार में कितना फर्क पड़ेगा, यह कहना मुश्किल है। कोर्ट इस बारे में संविधान के प्रावधान की उचित व्याख्या की है। लेकिन यह प्रावधान तो पहले से मौजूद है और उसमें कोई अस्पष्टता नहीं है। पंजाब...

  • केरल, तमिलनाडु के राज्यपाल क्या सबक लेंगे?

    दिवाली की छुट्टियों पर जाने से पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के साथ साथ तमिलनाडु का मामला भी सुना और पंजाब की तरह ही इस तमिलनाडु को लेकर भी हैरानी जताई कि कैसे राज्यपाल विधानसभा से पास विधेयकों को रोक कर रखे रहते हैं। हालांकि पंजाब जैसी टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने नहीं की। पंजाब को लेकर तो चीफ जस्टिस ने यहां तक कहा कि क्या राज्यपाल को पता है कि वे आग से खेल रहे हैं? अदालत ने यह भी पूछा कि इस तरह विधानसभा से पास विधेयकों को अगर राज्यपाल अनिश्चितकाल के लिए रोक कर रखते रहे...

  • केंद्रीय नियंत्रण के औजार?

    केंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपालों से अपेक्षित है कि राज्य में हो रही गतिविधियों से केंद्र को अवगत रखें तथा जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार को उचित परामर्श दें। लेकिन वे निर्वाचित सरकारों के कामकाज में व्यवधान डालने लगें, यह कतई अपेक्षित नहीं हैं। एक महीने के भीतर केरल की सरकार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। जबकि केरल, तमिलनाडु और पंजाब सरकारों की तरफ अपने-अपने राज्यपालों के खिलाफ दायर मामले की सुनवाई अभी चल ही रही है। केरल की लेफ्ट फ्रंट सरकार की शिकायत है कि राज्यपाल विधानसभा से पारित विधेयकों...

  • नए राज्यपालों पर विपक्ष की नजर

    गैर भाजपा दलों के शासन वाले जिन राज्यों में राज्यपालों से सरकार का टकराव चल रहा था उनमें से कई राज्यों में राज्यपाल बदल गए हैं। हालांकि तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना में राज्यपाल नहीं बदले हैं, जहां राज्य सरकार और राजभवन में सर्वाधिक टकराव है। लेकिन बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में राज्यपालों के बदले जाने का भी बड़ा संकेत है। महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार है लेकिन वहां भी राज्यपाल बदले जाने का जश्न मनाया जा रहा है क्योंकि भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट की सरकार के साथ साथ दोनों पार्टियों के नेता राज्यपाल के विवादित बयानों से चिंता में...

  • 12 राज्यों में नए राज्यपाल

    नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में चल रहे चुनावों के बीच राष्ट्रपति ने 12 राज्यों में नए राज्यपाल नियुक्त किए हैं। इसके अलावा एक केंद्र शासित प्रदेश में नया उप राज्यपाल नियुक्त किया गया है। इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और लद्दाख के उप राज्यपाल राधाकिशोर माथुर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। छत्रपति शिवाजी महाराज पर विवादित बयान देकर आलोचना से घिरे राज्यपाल कोश्यारी के इस्तीफे के बाद उनकी जगह झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को महाराष्ट्र का नया राज्यपाल बनाया गया है। लद्दाख में माथुर की जगह अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल...

  • राष्ट्रपति ने तेरह प्रदेशों में राज्यपाल बदले

    नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने रविवार को विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के राज्यपालों के पदों में फेरबदल (reshuffle) किये। इस बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और लद्दाख के राज्यपाल राधाकिशन माथुर ने आज अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति ने उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिये हैं। छत्तीसगढ की राज्यपाल अनसुइया उइके को मणिपुर का दायित्व सौंपा गया है और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बी बी हरिचरण को उनकी जगह पर नियुक्त किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक को अरुणाचल प्रदेश, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम, सी पी राधाकृष्णन को झारखंड, शिवप्रताप...

  • अब राज्यपालों का बहिष्कार शुरू

    राज्यपाल का पद बेहद सम्मान और गरिमा वाला माना जाता है। अंग्रेज के जमाने से लाट साहेब का कल्चर इस पद के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन पिछले कुछ सालों में राज्यपालों की गरिमा लगातार घटती जा रही है और राजभवन पहले जैसे पवित्र नहीं रह गए हैं। पहले जो घटनाएं अपवाद के तौर पर होती थीं अब आए दिन होती है। इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर कई राज्यों में सत्तारूढ़ या विपक्षी पार्टियों ने राजभवन का न्योता ठुकरा दिया। राजभवन में होने वाले गणतंत्र दिवस के पारंपरिक आयोजन में पार्टियां नहीं गईं। तमिलनाडु से लेकर पश्चिम बंगाल...

  • राज्यपालों की नियुक्ति पर नजर

    देश के कई राज्यों में राज्यपालों का पद खाली हो गया है और प्रभारी राज्यपालों से काम चल रहा है। कई केंद्र शासित प्रदेशों में उप राज्यपाल और प्रभारी का पद भी खाली है। वहां भी प्रभारियों के जरिए काम चल रहा है। पिछले कुछ दिनों से भाजपा के पुराने नेता या मंत्री पद से हटाए गए कुछ बुजुर्ग नेता या दूसरी पार्टियों से आए कुछ नेता इंतजार कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि किसी छोटे बड़े राज्य के राजभवन में भेजे जा सकते हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं की प्राथमिकता...

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