Mahua

  • महुआ के खिलाफ सीबीआई जांच शुरू

    नई दिल्ली। पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोपों में फंसी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने प्रारंभिक जांच यानी पीई शुरू कर दी है। जानकारों सूत्रों के मुताबिक भ्रष्टाचार निरोधक संस्था लोकपाल के निर्देश पर सीबीआई ने पीई शुरू की है। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ लोकपाल में भी शिकायत की थी। इससे पहले उनकी शिकायत पर संसद की एथिक्स कमेटी ने भी विचार किया और उनकी सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की है। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर के...

  • महुआ ने एथिक्स कमेटी को लिखी चिट्ठी

    नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भाजपा के साथ साथ संसद की एथिक्स कमेटी से भी टकराव बढ़ाते हुए दो पन्नों की एक चिट्ठी कमेटी को लिखी है। कमेटी के सामने पेश होने से एक दिन पहले बुधवार को उन्होंने यह चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने कमेटी के अधिकारों पर सवाल उठाए। इतना ही नहीं महुआ ने यह कहते हुए चिट्ठी मीडिया को जारी कर दी कि कमेटी ने भी उनको भेजा गया समन पहले मीडिया को जारी कर दिया था। तृणमूल सांसद ने शिकायत करने वाले जय अनंत देहाद्रई और आरोप लगाने वाले दर्शन हीरानंदानी से पूछताछ...

  • संसद कमेटी ने महुआ को बुलाया

    नई दिल्ली। पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में चौतरफा घिरीं तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को संसद की एथिक्स कमेटी ने पूछताछ के लिए बुलाया है। उनको कमेटी ने 31 अक्टूबर को हाजिर होने के लिए कहा है। महुआ मोइत्रा पहले ही कह चुकी हैं कि वे एथिक्स कमेटी के सामने जाकर हर सवाल का जवाब देने को तैयार हैं। इससे पहले गुरुवार को एथिक्स कमेटी की बैठक हुई, जिसमें आरोप लगाने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहद्राई से शिकायतों के बारे में पूछताछ हुई। बहरहाल, बताया जा रहा है कि एथिक्स...

  • प्रत्यारोप जवाब नहीं होते

    राहुल गांधी और महुआ मोइत्रा ने कुछ ठोस सवाल पूछे हैं। बेहतर नजरिया यह होता कि इन प्रश्नों के ठोस जवाब देश के सामने प्रस्तुत किए जाते। लेकिन- जैसाकि सत्ताधारी दल और उसके समर्थक इकॉ-सिस्टम का तरीका रहा है- उन्होंने जवाबी आरोपों की झड़ी लगा दी है। देश-दुनिया में बहुत सी बातें अनुभवजन्य होती हैं। उनके कोई लिखित सबूत नहीं होते, लेकिन इनसान उसमें इसलिए भरोसा करता है, क्योंकि उसके पास ऐसा करने के कारण होते हैँ। इसी तरह कई मामलों में साक्ष्य ठोस नहीं, बल्कि परिस्थितिजन्य होते हैँ। ऐसे सबूतों को तो न्यायिक निर्णयों में भी अहमियत दी जाती...