Muslims
विशेष समुदाय की राजनीति के लिए जाने जाने वाले ओवैसी ने हैदराबाद के प्रसिद्ध चारमीनार को अपने अब्बा की इमारत करार दे दिया. उन्होंने कहा कि ये हमारे अब्बा की…
RSS chief mohan Bhagwat speech : राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का यह कहना मामूली नहीं है कि ‘यदि कोई कहता है कि मुसलमान यहां नहीं रह सकता है तो वह हिंदू नहीं है’। उनकी यह बात भी मामूली नहीं है कि ‘गाय के नाम पर दूसरों को मारने वाले हिंदुत्व के विरोधी हैं’। देश के मुसलमानों को भरोसा दिलाने वाली उनकी यह बात भी गैरमामूली नहीं है कि ‘मुसलमान इस भय चक्र में न फंसें कि भारत में इस्लाम खतरे में है’। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यक्रम में उनकी कही यह बात भी गौरतलब है कि ‘वे छवि बदलने या वोट बैंक की राजनीति के लिए इस कार्यक्रम में नहीं शामिल हुए। संघ राजनीति नहीं करता है और न छवि की चिंता में रहता है। संघ का काम राष्ट्र और समाज के हर वर्ग के लिए काम करना है’। यह भी पढ़ें: क्या शिव सेना-भाजपा में कोई खिचड़ी? मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यक्रम में संघ प्रमुख का दिया पूरा भाषण पहली नजर में देखने पर लगता है कि यह संघ की विचारधारा के बारे में स्थापित धारणा से बिल्कुल उलट है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। इस भाषण के कुछ अंश जरूर संघ की विचारधारा से… Continue reading भागवत के भाषण का मतलब
bhagwat and pm modi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने मुसलमानों के बारे में जो हिम्मत दिखाई, यदि नरेंद्र मोदी चाहते तो वैसी हिम्मत वे चीन के बारे में भी दिखा सकते थे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सौ साल पूरे होने पर चीन के राष्ट्रपति शी जिन फिंग को अनेक राष्ट्राध्यक्षों ने बधाइयां दीं लेकिन हमारे मोदीजी चुप्पी खींच गए, हालांकि दोनों की काफी दोस्ती रही है। दूध पीना और महंगा! Mother Dairy ने भी बढ़ाए दूध के दाम, कल से 2 रुपए देने होंगे ज्यादा मोदी की मजबूरी थी, क्योंकि वे बधाई देते तो कांग्रेसी उनके पीछे पड़ जाते। वे कहते कि गलवान घाटी पर हमला बोलने वाले चीन से सरकार गलबहियां कर रही है। उधर 4 जुलाई को अमेरिका का 245 वां जन्म-दिवस था। मोदी ने बाइडन को बड़ी गर्मजोशी से बधाई दी। यह बिल्कुल ठीक किया लेकिन अब पता नहीं कि चीन के स्थापना दिवस (1 अक्तूबर) पर वे उसको बधाई भेजेंगे या नहीं ? इसी प्रकार 1 अगस्त को चीन की पीपल्स आर्मी के जन्म दिन पर क्या हमारा मौन रहेगा? 15 अगस्त के मौके पर शी जिन फिंग की भी परीक्षा हो जाएगी लेकिन इनसे भी बड़ा सवाल यह है कि ब्रिक्स… Continue reading भागवत और मोदीः हिम्मत का सवाल
यदि इस्लामिक देश सऊदी अरब वर्तमान की आवश्यकता, सभ्य एवं उदार समाज की रचना-स्थापना और अपने नागरिकों के सुविधा-सुरक्षा-स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मस्जिदों में ऊँची आवाज़ में बजने वाले लाउडस्पीकरों पर शर्त्तें और पाबन्दियाँ लगा सकता है तो धर्मनिरपेक्ष देश भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है। युगीन आवश्यकता एवं वर्तमान परिस्थिति-परिवेश के अनुकूल परिवर्तन सतत चलते रहना चाहिए। इसी में अखिल मानवता और जगती का कल्याण निहित है। परिवर्तन की यह प्रक्रिया चारों दिशाओं और सभी पंथों-मज़हबों में देखने को मिलती रही है। इतना अवश्य है कि कहीं यह प्रक्रिया तीव्र है तो कहीं थोड़ी मद्धिम, पर यदि हम जीवित हैं तो परिवर्तन निश्चित एवं अपरिहार्य है। इस्लाम में यह प्रक्रिया धीमी अवश्य है, पर सतह के नीचे वहाँ भी परिवर्तन की तीव्र कामना और बेचैन कसमसाहट पल रही है। इस्लाम एक बंद मज़हब है। वह सुधार एवं बदलावों से भयभीत और आशंकित होकर अपने अनुयायियों पर भी तरह-तरह की बंदिशें और पाबन्दियाँ लगाकर रखता है। इन बंदिशों एवं पाबंदियों के कारण उसको मानने वाले बहुत-से लोग आज खुली हवा, खिली धूप में साँस लेने के लिए तड़प उठे हों तो कोई आश्चर्य नहीं! तमाम इस्लामिक देशों और उनके अनुयायियों के… Continue reading इस्लामिक देशों में बदलाव, जगती उम्मीदें
उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने धर्मांतरण के एक बहुत ही घटिया षड़यंत्र को धर दबोचा है। ये षड़यंत्रकारी कई गरीब, अपंग, लाचार और मोहताज़ लोगों को मुसलमान बनाने का ठेका लिये हुए थे। इन मजहब के दो ठेकेदारों— उमर गौतम और जहांगीर आलम कासमी— को गिरफ्तार किए जाने के बाद पता चला है कि उन्होंने एक हजार लोगों को मुसलमान बनाया है।कैसे बनाया है ? उन्हें कुरान शरीफ के उत्तम उपदेशों को समझा कर नहीं, इस्लाम के क्रांतिकारी सिद्धांतों को समझाकर नहीं और पैगंबर मोहम्मद के जीवन के प्रेरणादायक प्रसंगों को बताकर नहीं, बल्कि लालच देकर, डरा-धमकाकर, हिंदू धर्म की बुराईयां करके। नोएडा के एक मूक-बधिर आवासी स्कूल के बच्चों को फुसलाकर योजनाबद्ध ढंग से उनका धर्मांतरण करवाया गया और उनकी शादी मुस्लिम लड़कियों से करवा दी गई। यह भी पढ़ें: ईरान में रईसी की जीत यह काम सिर्फ दिल्ली और नोएडा में ही नहीं हुआ, महाराष्ट्र, केरल, आंध्र, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में भी इस षड़यंत्र के तार फैले हुए हैं। इस घटिया काम की जांच में यह पाया गया कि उन्हें भरपूर पैसा भी मिलता रहा। इस पैसे के स्त्रोत आईएसआईएस और कुछ अन्य विदेशी एजेन्सियां भी रही हैं। इस राष्ट्रविरोधी काम को अंजाम देने का खास… Continue reading यह कैसा धर्मांतरण है ?
असम के नए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने अपने राज्य के बांग्लाभाषी मुसलमानों से ऐसी अपील कर दी है कि वैसी अपील कोई अखिल भारतीय नेता कर देता तो पता नहीं, कौन-कौन उस पर टूट पड़ता ? सरमा ने कहा है कि असम बांग्लाभाषी मुसलमान अपने बच्चों की शिक्षा और संख्या पर ध्यान दें याने दो से ज्यादा बच्चे पैदा न करें। वैसे 2017 में असम सरकार ने यह कानून बना दिया था कि उसकी नौकरी में वही व्यक्ति रह सकेगा और प्रवेश पा सकेगा, जिसके सिर्फ दो बच्चे हों। इसी तरह 2018 से पंचायत-चुनावों में भी वे ही लोग उम्मीदवार बन सकते हैं, जिसके बच्चे दो से ज्यादा न हों। मैं तो समझता हूं कि ऐसा कानून विधानसभा और लोकसभा के उम्मीदवारों पर भी लागू होना चाहिए और इस पर देश के सभी प्रांतों में अमल होना चाहिए। लेकिन असम के मुख्यमंत्री के उक्त बयान से काफी गलतफहमी पैदा हो सकती है। लोग यह भी अंदाज लगाने लगेंगे कि यह मुस्लिम-विरोधी नीति है या यह अल्पसंख्यकों पर जुल्म करने की साजिश है। इस शक को इस तथ्य से भी बल मिल सकता है कि 77000 बीघा जमीन से बांग्ला-मुसलमानों को बेदखल करने का अभियान आजकल चला हुआ है। इस… Continue reading असमः मुसलमान-विरोधी नहीं
संघ परिवार सीताराम गोयल ने लिखा था कि, ‘‘किसी संगठन के जीवन में एक बिन्दु आता है जब अपनी ही चिन्ता करने में उस के मूल लक्ष्य ओझल हो जाते हैं।’’ उन्होंने चेतावनी दी थी: ‘‘आर.एस.एस. हिन्दू समाज को ऐसे फन्दे की ओर ले जा रहा है जिस से इस का निकल सकना शायद संभव न हो सकेगा।’’ (1994)… जिन्हें वह चेतावनी बेढब लगे, वे जानें कि यह ऐसे संत-स्वरूप ज्ञानी योद्धा की है जिस ने पाँच दशक से भी अधिक समय तक, विपरीत परिस्थितियों में, हिन्दू समाज के सभ्यतागत शुत्रओं से लोहा लिया। यह भी पढ़ें: संघ-परिवार: एकता का झूठा दंभ सीताराम गोयल (1921-2003) की तुलना महान रूसी लेखक सोल्झेनित्सिन से हो सकती है। एक मामले में यहाँ उन की स्थिति वैसी ही रही, जैसे सोवियत (कम्युनिस्ट) रूस में सोल्झेनित्सन की थी। उन की बातों का लोहा लगभग सभी जानकार मानते थे, किन्तु सत्ता का रुख देख चुप रहते थे। ( संघ परिवार सीताराम गोयल ) बहरहाल, समाज में पूर्व-निर्धारित कुछ नहीं होता। 1917 ई. की रूसी क्रांति पर सोल्झेनित्सिन की ग्रंथ-माला ‘लाल चक्र’ वास्तविक इतिहास पर आधारित है। उसे पढ़ कर्मयोग की सीख पूर्ण सत्य लगती है। एक व्यक्ति का भी कर्म, विकर्म या अकर्म घटनाक्रम को प्रभावित… Continue reading संघ परिवार : सीताराम गोयल की चेतावनी
उस से पहले तक डॉ. हेगडेवार की दलीय नीति बिलकुल ठीक थी। कि जिस स्वयंसेवक में राजनीति रुचि हो वह कांग्रेस में काम करे। यही चल भी रहा था। सेक्यूलरवादी, हिन्दूवादी, समाजवादी, आदि सभी उस में काम करते थे। लंबे समय तक हिन्दू सम्मेलन भी कांग्रेस पंडाल में होते थे। स्वतंत्र भारत में भी कांग्रेस का यही चरित्र था। नेहरू कैबिनेट में भी हर विचार के लोग थे। यही जारी रहता, यदि संघ हेगडेवार की नीति पर टिका रहता। श्रीअरविन्द ने कहा था, ‘‘एक ढोंगी फिकरा है जो हर वक्त, जब देखो तब, हमारी जबान पर रहता है, और वह है: एकता की पुकार। ‘तुम्हारे विचार जो भी हों, उन्हें दबा दो, क्योंकि उन से हमारी एकता बिगड़ जाएगी। अपने सिद्धांतों को निगल जाओ, क्योंकि वे हमारी एकता बिगाड़ देंगे। जो तुम सही समझते हो उस के लिए संघर्ष मत करो क्योंकि उस से हमारी एकता बिगड़ जाएगी। जरूरी काम भी बिना किए छोड़ दो, क्योंकि उन्हें करने की कोशिश हमारी एकता बिगाड़ देगी’ – यह है चीख-पुकार।’’ यह भी पढ़ें: संघ परिवार और राम स्वरूप जिस हद तक संघ परिवार में एकता है, निपट विचारहीन है। मानो एकता का अर्थ अपने नेताओं की हर सही-गलत मानना, बल्कि उसे सही… Continue reading संघ-परिवार: एकता का झूठा दंभ
ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने पर मनाया जाता है। ईद को ईद-उल फित्र भी कहते है। मुसलमान लोग रमजान में पूरे महीने में रोजा रखते है और अंत में ईद के दिन खुशिया मनाते है सलामती की दुआ मांगते है मिठाइयां बांटते है। मुस्लिम समुदाय के लोग ईद के त्योहार का जश्न पूरे 3 दिनों तक मनाते हैं। ईद के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं। ईद के दिन की शुरुआत ईद की नमाज के साथ होती है। इसके बाद सब एक दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। एक दूसरे के घर जाते हैं और दोस्तों और रिश्तेदारों में मिठाइयां और तोहफे बांटते हैं। सभी बड़े इस दिन अपने छोटों को तोहफे के रूप में ईदी देते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है। ईद के दिन सुबह की नमाज पढ़ इसकी शुरूआत हो जाती है। इसे भी पढ़ें Corona Epidemic बीच मुस्लिम धर्मगुरुओं की लोगों से अपील, घरों में रहकर मनाए ईद मुस्लिम धर्मगुरूओं की अपील पिछली बार की तरह इस साल भी ईद के त्यौंहार पर कोरोना की काली… Continue reading ईद 2021 : जानिए कब है ईद..अमीरी या गरीबी का नहीं खुशिया बांटने का त्यौंहार है ईद
नई दिल्ली | मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार ईद उल फितर (Eid ul Fitr) रमजान के महीने के खत्म होने पर मनाया जाता है। लेकिन पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना महामारी (Corona epidemic) ने तबाही मचाई हुई है। इसे देखते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं (Muslim religious leaders) ने तमाम लोगों से गुजारिश करते हुए कहा कि, सभी लोग घरों में ही ईद की नमाज पढ़, खुशियां मनाएं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर ((Eid ul Fitr)) मनाई जाती है। ईद (Eid) के दिन सुबह की नमाज पढ़ इसकी शुरूआत हो जाती है। जामा मस्जिद के शाही ईमाम सईद अहमद बुखारी ने मुस्लिम समाज से अपील करते हुए कहा कि, आगामी दिनों में मनाई जानी वाली ईद पर लोग अपने घरों में ही नमाज पढ़ें। ये जानलेवा बीमारी बहुत तेजी से फैल चुकी है। यह ऐसा कयामत का मंजर जिसे हमने आपने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा। कई परिवारों ने अपने लोगों को खो दिया। इसे भी पढ़ें – Corona infection को रोकने में योगी सरकार का प्रयास सराहनीय : राजनाथ सिंह कई लोग तो अपनों को कंधा भी नहीं दे सके, डॉक्टरों के मुताबिक अभी तीसरी लहर बाकी है। इसके लिए… Continue reading Corona Epidemic बीच मुस्लिम धर्मगुरुओं की लोगों से अपील, घरों में रहकर मनाए ईद
दिल्ली में सराय काले खां घटनाक्रम से स्वयंभू सेकुलरवादी, वामपंथी-जिहादी और उदारवादी-प्रगतिशील कुनबा अवाक है। इसके तीन कारण है। पहला- पूरा मामला देश के किसी पिछड़े क्षेत्र में ना होकर राजधानी दिल्ली के दलित-बसती से संबंधित है। दूसरा- इस कृत्य को प्रेरित करने वाली मानसिकता के केंद्रबिंदु में घृणा है। और तीसरा- पीड़ित वर्ग दलित है, तो आरोपी मुस्लिम समाज से संबंध रखता है। “जय भीम-जय मीम” का नारा बुलंद करने वालों और दलित-मुस्लिम गठबंधन के पैरोकारों के लिए इस घटनाक्रम में तथ्यों को अपने विकृत नैरेटिव के अनुरूप तोड़ना-मरोड़ना कठिन है। मामला सराय काले खां से सटे दलित बस्ती में 22 वर्षीय हिंदू युवक के 19 वर्षीय मुस्लिम युवती से प्रेम-विवाह से जुड़ा है। सोशल मीडिया में वायरल तस्वीरों और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुमित नामक युवक ने 17 मार्च को एक मंदिर में हिंदू वैदिक संस्कार और रीति-रिवाज के साथ अपनी प्रेमिका खुशी से विवाह किया था। उसी मंदिर में मुस्लिम युवती ने अपनी इच्छा से मतांतरण भी किया। इस संबंध में युवती ने थाने जाकर सहमति से शादी करने संबंधी बयान भी दर्ज करवाया था। इन सबसे नाराज मुस्लिम लड़की के परिजनों और उनके साथियों ने 20 मार्च (शनिवार) रात दलित बस्ती में घुसकर जमकर उत्पात मचाया… Continue reading दलित और मुस्लिम में गठजोड़ कैसे स्वाभाविक?
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने कहा है कि हिन्दू- मुसलमान के नाम पर राजनीति करना देश के लिये खतरा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया श्री मोहन भागवत के इस कथन पर बड़ी बहस चल रही है कि ‘‘दुनिया में सबसे ज्यादा संतुष्ट कोई मुसलमान हैं तो भारत के मुसलमान हैं।’’ यही बात किसी मुसलमान नेता या आलिम-फाजिल के मुंह से निकलती तो उसकी बात ही कुछ और होती लेकिन ऐसी बात निकले तो कैसे निकले ?
ये बात नई नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट से फिर सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक जेलों में बड़ी संख्या में मुस्लिम, आदिवासी और दलित वर्ग के लोग बंद रखे गए हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सपा सरकार में जिस तरह ब्राह्मणों व दलितों का चुन-चुन कर उत्पीड़न किया गया था